टीबी मुक्त भारत अभियान से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं



  • समूह क्षय रोगियों के लिए तैयार करेगा पोषण पोटली
  • क्षय रोगियों को जल्द स्वस्थ होने में मिलेगी मदद

बाराबंकी  -  जिले को टीबी मुक्त बनाने की मुहिम शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जनपद में निरंतर नए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के  मिशन निदेशक की पहल पर उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कार्यरत स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाएं भी इस अभियान से पूर्ण रूप जुड़ गई हैं। अब जनपद के समस्त ब्लॉक में स्वयं सहायता समूह, निक्षय मित्रों की ओर से गोद लिए गए टीबी मरीजों के लिए पोषण पोटली तैयार करेंगी और उनकी आपूर्ति करेंगी।

जिला क्षय रोग अधिकारी एवं नोडल डॉ विनोद कुमार दोहरे ने कहा शासन की ओर से मिले पत्र के अनुसार जनपद के सभी ब्लॉक में स्वयं सहायता समूहों से पोषण पोटली क्रय करने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने बताया क्षय रोगियों को दी जाने वाले पोषण पोटली स्वयं सहायता समूहों से तैयार कराकर देने का प्रस्ताव राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश कार्यालय को उपलब्ध कराया गया था। इस पर सम्यक विचारोपरान्त राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन निदेशक की ओर से निर्णय लिया गया है।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि शासन के निर्देश के क्रम में गोद लिए गए क्षय रोगियों को पोषण पोटली स्वयं सहायता समूह के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी । इसके लिए विभाग पूरी तरह से तैयार है। उन्होने बताया शासन की ओर से मिले पत्र के अनुसार पोषण पोटली में एक-एक किलो मूँगफली, भुना चना, गुड़, सत्तू, तिल/गज़क को शामिल किया जाना है। पोषण पोटली से टीबी मरीजों को प्रोटीन व अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व मिलेंगे जो कि उपचार में उनकी मदद करेंगे। इसके साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान हर माह 500 रुपये भी सीधे मरीज के बैंक खाते में भेजे जा रहे हैं। क्षय रोगी नियमित दवा का सेवन करें, निक्षय पोषण की राशि का उचित इस्तेमाल पोषक तत्वों के लिए करें, इसके लिए जिला क्षय रोग नियंत्रण इकाई के कर्मी और निक्षय मित्र नियमित फॉलो अप कर रहे हैं। उन्हें सम्पूर्ण उपचार और जल्द स्वस्थ होने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। नोडल अधिकारी ने जनपदवासियों से सक्षम लोगों और संस्थाओं से टीबी मरीजों को गोद लेने की अपील की है।

पीपीएम जिला समन्वयक रितेश कुमार सिंह ने बताया कि भारत सरकार की मंशा के अनुसार 2025 तक क्षय रोग का उन्मूलन किया जाना है। दो साल में जिले को टीबी मुक्त करना है। जिले में कुल 4013 क्षय रोगियों का निःशुल्क उपचार चल रहा है। साथ ही वर्ष 2023 में 186 से ज्यादा क्षय रोगियों को गोद लिया गया। इसी क्रम में वर्ष 2022 में स्वयंसेवी संस्थाओं, सम्भ्रान्त व्यक्तियों एवं अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा 2359 क्षय रोगियों को गोद लिया गया है। इनमें से 1287 रोगियों का उपचार पूर्ण हो गया है। बाकी शेष टीबी रोगियों का उपचार किया जा रहा है।

टीबी मरीजों को होगा लाभ : जिला कार्यक्रम समन्वयक शिप्रा सिंह ने बताया अलग अलग कारणों की वजह से टीबी के मरीज बीच में ही अपना इलाज छोड़ देते हैं। इससे टीबी रोग पहले से अधिक गंभीर हो जाता है । पौष्टिक आहार के सेवन से मरीज जल्द स्वस्थ होंगे और बीच में इलाज छोड़ने की दर में कमी आएगी । उन्होंने बताया टीबी के इलाज में दवाओं संग रोगी के खानपान का भी विशेष ध्यान रखना होता है। जिससे उसके अंदर संक्रमण से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। इलाज पूरा न होने और दवा सही समय पर न खाने से मरीज के अंदर का टीबी वायरस खत्म नहीं होता और दूसरे भी संपर्क में आकर संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में सरकार की गोद लेने की यह पहल भारत को टीबी मुक्त करने में बड़ा योगदान देगी।