किशोरियों और गर्भवती का सही पोषण ही सुरक्षित मातृत्व की नीव



  • महानगर के चारपुरवा मलिन बस्ती में एनीमिया जांच कैम्प का किया गया आयोजन

गोरखपुर - किशोरावस्था व गर्भावस्था में महिला में एनीमिया ( खून की कमी) की आशंका बढ़ जाती है, इसलिए दोनों अवस्थाओं में सही पोषण का मिलना नितांत आवश्यक है । आज की किशोरी ही कल की मां है । सुरक्षित मातृत्व की नीव भी इसी अवस्था में मिलने वाले सही पोषण से पड़ती है । इसी उद्देश्य को सफल बनाने और इस संदेश को समुदाय तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय पोषण माह के तहत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से शहर के मलिन बस्ती चारपुरवा में एनीमिया जांच कैम्प का आयोजन शनिवार को किया गया ।

शहरी बाल विकास परियोजना में मुख्य सेविका मोहित सक्सेना ने बताया कि जिला कार्यक्रम अधिकारी अभिनव कुमार मिश्र और सीडीपीओ महेंद्र कुमार चौधरी के दिशा निर्देशन में शहरी क्षेत्र में भी पूरे सितम्बर माह में पोषण माह संबंधी गतिविधियों का आयोजन किया गया । इसी कड़ी में मलिन बस्ती बधिक टोला, भगतपुरवा और चारपुरवा की गर्भवती और किशोरियों के लिए एनीमिया जांच कैम्प का आयोजन किया गया ।

उन्होंने बताया कि कैम्प में आईं आठ गर्भवती और 66 किशोरियों में एनीमिया की जांच की गयी । जांच में 19 किशोरियों और दो गर्भवती में एनीमिया पाया गया, जिन्हें स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं की मदद से स्वस्थ बनाया जाएगा ।कैम्प के प्रतिभागियों को सही पोषण की जानकारी देने के साथ साथ मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में भी बताया गया।सभीकिशोरियों को सैनेटरी पैड भी बांटा गया। साथ ही बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा हरे साग सब्जियों एवं मोटे अनाज से बनने वाली विभिन्न रेसिपी के बारे में जानकारी दी गई।

कार्यक्रम में पहुंचे चरगांवा  ब्लॉक के चिकित्सक डॉ मनोज मिश्र ने बताया कि दैनिक आहार में लौह युक्त भोजन और हरी पत्तेदार सब्जियों का उपयोग न करने और भोजन के साथ चाय या कॉफी पीने से भी एनीमिया की आशंका रहती है। पेट के कीड़े भी एनीमिया का कारक हैं जो दूषित हाथों से खानपान और नंगे पाव चलने से भी शरीर में प्रवेश करते हैं। इसलिए एनीमिया सेबचाव के लिए प्रत्येक सप्ताह किशोरियों द्वारा आयरन फोलिक की गोली का सेवन करना अनिवार्य है । गर्भावस्था के दूसरे तिमाही से भी इन गोलियों को गर्भवती को दिया जाता है । धात्री माताओं को भी इनका सेवन करना है ।

 चरगांवा ब्लॉक के स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि एनीमिया की रोकथाम के लिए स्कूल जाने वाले किशोर किशोरियों को आयरन फोलिक एसिड की दवा को शिक्षक से प्राप्त कर सेवन करना है, जबकि स्कूल न जाने वाली किशोरियों को आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से यह सुविधा दी जाती है । बच्चों को स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से साल भर में दो बार पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाई जाती है । गर्भावस्था के दूसरे या तीसरे तिमाही में भी सिर्फ एक बार इस दवा का सेवन अनिवार्य है। उन्होंने खानपान में मोटा अनाज शामिल करने पर भी जोर दिया ।

इस मौके पर एएनएम जैसमीन ब्लासम, प्रज्ञा सिंह, आशा कार्यकर्ता अर्चना, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमन, मंजू, रागिनी, कंचन त्रिपाठी, शीला, आभा, सरिता, शशिबाला, कन्यावती, विद्यावती,सरोज, सहायिका सुशीला, उमा, अद्यावती, आशा, शान्ति, चंद्रावती और मालती ने आयोजन में सहयोग किया । हेल्थ सुपरवाइजर अजीत रमन और संदीप चौधरी भी इस मौके पर मौजूद रहे ।

एनीमिया के लक्षण :

•    हथेली सफेद होना
•    आंखों के नीचे पलक का सफेद होना
•    नाखूनों का हल्का पीला या सफेद होना
•    पैरों में सूजन
•    काम करने में थकावट जैसे सांस फूलना या चक्कर आना

आंगनबाड़ी की मदद से हुई जांच : चारपुरवा मलिन बस्ती निवासी आशा (18) ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कंचन की मदद से वह शिविर में आई थीं। जांच में उनके भीतर हीमोग्लोबिन की मात्रा आठ पाई गई। उन्हें घबराहट, चिड़चिड़ापन और थकान महसूस होती थी । जांच के बाद एएनएम ने उन्हें बताया कि उनके भीतर खून की कमी है। आयरन की गोली दी गयी है और बताया गया कि इसे खाना खाने के एक घंटे बाद खाना है । इसका सेवन खट्टे खाद्य पदार्थ जैसे नींबू या संतरा के साथ कर सकते हैं। यह दवा हफ्ते में एक बार खानी है । बाहर बिकने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना है। यह भी बताया गया कि दैनिक खानपान में पालक, चौराई, प्याज के डंठल, सरसो के पत्ते, मेथी के पत्ते, पुदीना, सहजन, अंकुरित चना, सोयाबीन, काला चना, मांस या मझली के सेवन से शरीर को आयरन मिलता है।