20 फीसदी आबादी में स्वास्थ्यकर्मी घर-घर तलाशेंगे टीबी के रोगी



  • जनपद में 23 नवम्बर से शुरू होगा सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान
  • संवेदनशील क्षेत्रों को चिन्हित कर लक्षण युक्त लोगों की भी होगी जांच
  • टीबी के प्रति संवेदीकरण बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन सोमवार से

कानपुर - टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने के लिए क्षय रोग विभाग निरंतर प्रयासरत है। इसके लिए टीबी की शीघ्र जाँच और इलाज पर पूरा जोर है। इसी के तहत विभाग एक बार फिर टीबी रोगियों को खोजने के लिए एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) यानि सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान शुरू करने जा रहा है। इस बारे में सभी टीबी इकाइयों के मेडिकल ऑफिसर्स को शनिवार को प्रशिक्षित किया गया। जिला क्षय रोग अधिकारी की अध्यक्षता में जिला क्षय रोग केंद्र में यह प्रशिक्षण संपन्न हुआ।

प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ आरपी मिश्रा ने बताया - जनपद की आबादी करीब 51 लाख है, लेकिन विशेष अभियान के तहत 20 प्रतिशत आबादी की स्क्रीनिंग की जाएगी। टीबी के लक्षण युक्त (संभावित रोगियों) व्यक्तियों की जांच की जाएगी और जांच में टीबी की पुष्टि होने पर तत्काल उपचार शुरू किया जाएगा। शासन से मिले दिशा - निर्देशों के क्रम एक ओर जहां 23 नवंबर से पांच दिसंबर तक एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान चलाया जाएगा, वहीं 20 नवंबर से 31 दिसंबर के बीच टीबी के प्रति संवेदीकरण बढ़ाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।

उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश्वर सिंह ने कहा कि अभियान के लिए कुल 335 टीम और 67  सुपरवाइजर तैनात किये गये हैं। प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी संभावित क्षय रोगियों की जांच करेंगे और टीबी की पुष्टि होने पर 48 घंटे के अंदर उपचार शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया- अभियान के दौरान आवासीय परिसरों, जैसे अनाथालयों, वृद्धाश्रमों, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसों और छात्रावासों में कैंप आयोजित कर टीबी के प्रति संवेदीकरण किया जाएगा और लक्षण युक्त व्यक्ति के स्पुटम (बलगम) के नमूने एकत्र किए जाएंगे ।  

जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया - जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जनप्रतिनिधियों का संवेदीकरण, पंचायती राज, शिक्षा और समाज कल्याण विभाग समेत तमाम विभागों की अंतर्विभागीय बैठक, निजी चिकित्सकों का संवेदीकरण, औषधि विक्रेताओं का संवेदीकरण, धर्मगुरुओं का संवेदीकरण, एनसीसी/एनएसएस/ एनवाईके संवेदीकरण और टीबी चैंपियन का संवेदीकरण आदि गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को जनांदोलन बनाने के प्रयास होंगे। साथ ही अभियान के दौरान स्क्रीनिंग में मिलने वाले लक्षण युक्त व्यक्तियों की जांच की जाएगी। जांच में टीबी की पुष्टि होने पर हर रोगी की सीबीनॉट जांच कराई जाएगी ताकि उसके लिए सटीक दवा का निर्धारण करने में आसानी हो। इसके साथ ही सभी रोगियों की शुगर और एचआईवी जांच भी की जाएगी और पूरा डेटा निक्षय पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा ।

जनपद में क्षय रोगी : उन्होंने बताया कि वर्तमान में जनपद में अब तक करीब 19000 टीबी रोगी नोटिफ़ाइड हैं, जिनका स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरंतर उपचार किया जा रहा है। साथ ही गोद लिए गए सभी क्षय रोगियों को हर माह पोषण पोटली भी प्रदान की जा रही है। निक्षय पोषण योजना के तहत क्षय रोगियों को उपचार के दौरान हर माह 500 रुपये भी डीबीटी के द्वारा भेजे जा रहे हैं