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बाबाओं की करतूत का पर्दाफाश करती आमिर के बेटे जुनैद खान की फिल्म, बड़े पर्दे पर होती तो और असर छोड़ती

नई दिल्ली. बाबाओं की ‘लीला’ की तमाम खबरों के बीच नेटफ्लिक्स पर फिल्म ‘महाराज’ बिल्कुल मौके पर आई है. पौने दो सौ साल पहले की कहानी लगता है जैसे इसी दौर की है. फिल्म वैष्णव समुदाय को एकजुट करके एक बाबा पर है. बाबा उन्हीं की बहन बेटियों से चरण सेवा करा रहा था. अविवाहित कन्या से शारिरिक संबध बनाना ही नहीं उसे भक्तों को दिखाना भी उसका शगल था. लोग उसका विरोध करने की जगह इस बात से अपने को धन्य मान रहे थे कि महाराज ने सैकड़ों में से उनकी कन्या को इस चरण सेवा के लिए चुना. चुनी गई कन्या के घर में जश्न मनाने के लिए उस दिन ‘लापसी’ बनती थी. एक अकेले करसनदार मुलजी को ये बात अखरती है. पहले से ही अखबारों में लिखने वाले सुधारक और पत्रकार करसनदास चरण सेवा की इस बहुत पुरानी बताई जा रही परंपरा के विरोध में अभियान चलाते हैं. महाराज के विरुद्ध सुबूत न होने के कारण पहले से चल रहे अखबार उनका लेख छापने से मना कर देते हैं तो अपना अखबार भी छापते हैं. आमिर खान के बेटे जुनैद खान ने इसी करसनदास का किरदार निभाया है .

कोर्ट कचेहरी की देहरी लांघती हुई फिल्म जून के आखिरी सप्ताह में नेटफ्लिक्स पर आई जबकि 2 जुलाई को हाथरस सतसंग में भगदड़ का हादसा हो गया. दोनों में कोई संबंध नहीं है. संबध है तो महज इतना कि जिस बाबा के सतसंग में ये हादसा हुआ उन्हें भी महिलाओं से बहुत प्रेम है. हादसे में मैक्सिमम औरतें ही मारी गईं है. उसी मामले से जुड़ी तमाम खबरों में ये बात भी सामने आ रही है कि सिपाही से बाबा की गद्दी तक पहुंचने वाले सूरजपाल ऊर्फ भोले बाबा के आश्रमों में उनकी अपनी सेवा में सिर्फ महिलाएं ही रहती हैं. भोले बाबा के बारे में तो अभी बहुत सारी बातें सामने आनी हैं, लेकिन आशाराम की करतूतें तो साफ हो ही गई हैं. अपनी करनी का फल आशाराम जेल में भुगत रहा है.

ये वही आशाराम है जिसने बापू का नाम उड़ा कर अपने नाम से जोड़ लिया. बाद में और तमाम दूसरे बाबाओं की कथा कहानियां सामने आईं, लेकिन इस दौर को अगर बाबाओं के करतूतों के लिहाज से आशाराम का दौर कहा जाए तो गलत नहीं होगा. ऐसे में इस फिल्म की अहमियत और बढ़ जाती है. ध्यान रखने वाली बात है कि ये फिल्म सच्ची घटना पर है. फिल्म में दिखाया गया बंबई सुप्रीम कोर्ट में चला मुकदमा कानून के स्टूडेंट को आज भी पढ़ाया जाता है. आमिर खान अपनी फिल्मों के उम्दा किरदारों के लिए हमेशा जेहन में रहते हैं तो उनके बेटे ने भी एक ऐसा किरदार शानदार तरीके से निभाया है जिसके लिए वह याद रखे जाएंगे.

किताब पर आधारित है ‘महाराज’
अब बहुत सारे लोगों को पता चल चुका होगा कि जनवरी 1862 में बंबई सुप्रीम कोर्ट, उस समय हाई कोर्ट का ऐसा ही नाम था, में मानहानि के मामले की सुनवाई हुई थी. इस पर सौरभ शाह ने ‘महाराज’ नाम की किताब लिखी है. फिल्म का आधार यही किताब है. यशराज फिल्म की ये कृति सिर्फ नेटफ्लिक्स पर ही रीलीज की गई. ये भी बहुत विचित्र है क्योंकि आज के दौर में ये फिल्म बहुत जरूरी है. इसे सिनेमाघर में ही होना चाहिए था. निश्चित तौर पर आज सामने आ रही तमाम घटनाओं को देखते हुए इस फिल्म की रेलेवंस और बढ़ जाती है.

बात रामपाल की हो, या कहानी राम रहीम की देखी जाए, ऐसा लगता है कि बहुत सारे बाबा अपनी इंद्रियों के सुख के लिए ही बाबा बने हैं. अपने व्यभिचार को उन्होंने अपने दाढ़ी के पीछे छुपा रखा है जबकि धर्म के बारे में थोड़ी सी भी सही जानकारी रखने वाले समझते हैं कि जिसे ईश्वर की कृपा चाहिए वो ईश्वर से सीधे मांग सकता है. इसमें किसी बिचौलिए की जरूरत नहीं है. फिर भी बिचौलिए बाबाओं की दुकान पर श्रद्धालु ग्राहकों की संख्या कम नहीं हो रही है. 1862 के दौर में जदुनाथ महाराज प्रणाम करने वाली लड़कियों के हाथ के अंगूठे दबा कर अपनी मंशा जता दे रहे थे, तो आशाराम लेजर वाली टॉर्च की रोशनी से अपनी पसंद बता दे रहा था. रामपाल के यहां पुलिस की तलाशी में मिली चीजों को देख कर पुलिस की ओर से बताया गया था कि ऐसा लग रहा था कि आश्रम में जैसे बच्चा पैदा करने वाली कोई फैक्ट्री चलाई जा रही हो. उसी दौर में और भी बहुत सारे बाबा पुलिस की पकड़ में आए थे. उनका मकसद भी महिलाओं से इंद्रियों का सुख पाना. बहुत सारे बाबा बदले में ‘अपनी कथित शक्ति से’ निसंतान महिलाओं को बच्चा भी पैदा कराते थे.

एक समय में अपने देश में देवदासी परंपरा भी रही है. महिलाओं का धर्म के नाम पर वहां भी शोषण ही किया जाता था. फिर ऐसी खराब और सभ्यता के विरुद्ध बनी किसी भी फिल्म का विरोध क्यों होता है ये समझ से परे है. होना तो ये चाहिए कि ऐसे बाबा जो धर्म का प्रचार करते हैं, लोगों को अच्छाइयों की राह दिखाते हैं वे भी इस तरह की फिल्मों का समर्थन करे. इस तरह के अभियान चलाए जिससे उन्हें बदनाम करने वाले मुट्ठीभर व्यभिचारियों को अलग थलग किया जा सके.

Tags: Aamir khan, Entertainment news., Junaid khan

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Aryavart Kranti
Author: Aryavart Kranti

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