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शिव स्तुति पाठ के हैं गजब के फायदे, नियमित जाप से दूर होंगे असाध्य रोग! जानें सही विधि और पाएं लाभ

हाइलाइट्स

शिव स्तुति के जाप से सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. इसके पाठ से असाध्य रोग भी मिट जाते हैं.

Benefits Of Shiv Stuti : सनातन धर्म में भगवान शिव के बड़ी संख्या में भक्त हैं. जो नियमित रूप से अपने आराध्य की पूजा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. भगवान शिव की कृपा दृष्टि सदैव भक्तों पर रहती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अगर आप नियमित रूप से हर दिन या फिर समय के आभाव के चलते हर सोमवार भगवान शिव की स्तुति का पाठ करते हैं तो आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है. इसके अलावा कई लाभ हैं जिन्हें आप प्राप्त कर सकते हैं. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से कि शिव स्तुति पाठ के नियम और इससे होने वाले लाभ के बारे में.

शिव स्तुति पाठ की विधि
-भगवान शिव की स्तुति का पाठ सोमवार के दिन विशेष रूप से करना चाहिए.
-सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
-अब शिवलिंग के सामने आसन लगाकर बैठ जाएं. उसके बाद धूप-दीप जलाकर भगवान शिव का जल से अभिषेक करें. बेलपत्र, आक, धतूरा आदी अर्पित करें. अब भगवान शिव को भोग लगाएं और फिर शिव स्तुति का पाठ करें.

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शिव स्तुति पाठ से लाभ
1. शिव स्तुति के जाप से सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. इसके पाठ से असाध्य रोग भी मिट जाते हैं.
2. शिव स्तुति पाठ से मन हमेशा प्रसन्न और आनंदित रहता है.
3. शिव स्तुति पाठ से मानसिक बीमारियां पास नहीं आती. आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है.
4. इस पाठ से भगवान शिव बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं.
5. परिवार में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है.

शिव स्तुति
आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा।।

निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा।।

निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा।।

शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा।।

नाथ नागेश्वर हरो हर, पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले, सदा शिव शिव संकरा।।

जगत पति अनुरकती भक्ति, सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब, जय जयति जगदीश्वरा।।

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जनम जीवन जगत का, संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन, जपता रहे पञ्चाक्षरा।।

आशुतोष शशांक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ।।
कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..
कोटि नमन दिगम्बरा..

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Lord Shiva

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Aryavart Kranti
Author: Aryavart Kranti

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