लखनऊ। भारत के मुख्य न्यायाधीश मा0 डॉ0 न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी एवं न्यायाधीशगण आज यहां डॉ0 राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षान्त समारोह में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश डॉ0 न्यायमूर्ति डी0वाई0 चन्द्रचूड़ ने मुख्य अतिथि के तौर पर दीक्षान्त समारोह का शुभारम्भ किया। मा0 डॉ न्यायमूर्ति डी वाई चन्द्रचूड़ तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथने विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियां को मेडल तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किये। मुख्य न्यायाधीश ने दीक्षान्त समारोह में सम्मिलित होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि 09 वर्षों पश्चात डॉ0 राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में यह उनकी तीसरी विजिट है।
विगत 02 विजिट में वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर सम्मिलित हुए थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में लगभग 03 वर्षों के कार्यकाल में अनुभव किया कि यह प्रदेश, देश का हृदय व आत्मा है। उदाहरण के तौर पर उच्चतम न्यायालय द्वारा अंग्रेजी में दिए गए निर्णयों का भारत के संविधान में उल्लिखित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है, जिससे आम जनता भी समझ सके कि निर्णय में क्या लिखा गया है। सन् 1950 से लेकर वर्ष 2024 तक सर्वोच्च न्यायालय के 3,7000 रिपोर्टिंग जजमेंट का हिंदी में अनुवाद किया जा चुका है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह अपने सहयोगियों एवं देश के तमाम शिक्षाविदों से विचार विमर्श करते हैं कि कैसे विधि शिक्षा को सरल भाषा में पढ़ाया जा सके। संविधान के अलग-अलग प्रावधानों में कुछ नियम और बुनियादी सिद्धांत हैं। हम इन सिद्धांतों को अंग्रेजी भाषा में अच्छा से अच्छा पढ़ाते हैं, लेकिन उन सिद्धांतों को क्षेत्रीय भाषाओं में समझाने में स्वयं को असहज पाते हैं। यदि हम कानून के सिद्धांतों को सरल भाषा में आम जनता को नहीं समझ पा रहे हैं, तो इसमें कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा की कमी नजर आ रही है। इस बात का असर आम नागरिकों विशेष कर समाज के कमजोर वर्गों पर पड़ता है।