नई दिल्ली। वक्फ बोर्ड में संशोधन के लिए विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश हो सकता है। माना जा रहा है कि इसे तत्काल पारित कराने की बजाय सरकार भी चाहेगी कि पूरा सदन विस्तार से चर्चा करे। लिहाजा संभावना है कि विधेयक अगले सत्र में पारित कराने की कोशिश हो। लेकिन यह संदेश जरूर दिया जाएगा कि सरकार बोर्ड में संशोधन को जरूरी मानती है।
फिलहाल कांग्रेस में मंथन चल रहा है क्योंकि वह खुलकर वक्फ का वकालत भी करती नजर नहीं आना चाहती है और पूरी तरह चुप रहकर मुस्लिमों में यह संदेश भी नहीं जाने देना चाहती है वह कुछ नहीं कर रही है। जबकि कुछ क्षेत्रीय विपक्षी दल मुखर होकर इसका विरोध कर रहे हैं।
इस बीच पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी कहते हैं कि कांग्रेस ने गलत मंशा के साथ राजनीति की। वक्फ में संशोधन वक्फ और वक्त दोनों की जरूरत है। इसे पहचानते हुए ही अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में जेपीसी गठित हुई थी। लेकिन उसके सुझावों को कांग्रेस ने नजरअंदाज कर दिया था। सच्चाई यह है कि वक्फ में संशोधन से हितधारक और पीडित दोनों को लाभ होगा और पारदर्शिता आएगी। दरअसल वक्फ को लेकर शिकायतें जनता से ही आ रही हैं। 2013 में कांग्रेस काल मे वक्फ को दी गई असीमित शक्ति के कारण बोर्ड ने ऐसी संपत्तियों पर भी अपना अधिकार जमा दिया जिसका कोई प्रमाण ही नही हैं। यह बात तब भी आई थी जब नकवी के मंत्रित्व काल में वक्फ संपत्ति का डिजिटाइजेशन शुरू हुआ था। कुछ आंकड़ों के आधार पर यह भी दावा किया जा रहा है कि पिछले 15 वर्षों में वक्फ की संपत्ति लगभग दोगुनी हो गई।
2009 में इसके पास लगभग 4 लाख एकड़ की संपत्ति थी जो अब 9.40 लाख एकड़ हो गई है। मथुरा का शाही ईदगाह, वाराणसी का ज्ञानवापी, अयोध्या में कभी रहा विवादित ढांचा, धार का भोजशाला ये सभी वक्फ के कब्जे में है। अप्रैल 2024 में तेलंगाना वक्फ बोर्ड ने तो हैदराबाद के फाइव स्टार मैरियट होटल को भी वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया था। इसी तरह सूरत नगर निगम को भी वक्फ ने अपनी संपत्ति में दर्ज कर लिया।
ताजमहल को लेकर हाईकोर्ट ने की टिप्पणी
हाल ही में एक उच्च न्यायलय ने ऐतिहासिक महत्व के कई स्थलों पर वक्फ की ओर से जताए गए अधिकार के बाद कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था आप किसी दिन लाल किला और ताजमहल को भी वक्फ संपत्ति घोषित कर देंगे। नकवी ने कहा कि फिलहाल वक्फ संपत्ति का सही उपयोग नहीं हो रहा है। मुस्लिम समाज के वंचित लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि ऐसे कई पीडि़त है जिनकी जमीन पर बिना सत्यापन कब्जा हो गया है। विधेयक इससे मुक्ति दिलाएगा लिहाजा इसका विरोध करने के लिए कुछ नहीं है। वोट बैंक की राजनीति से उपर उठकर दल देखेंगे तो मानेंगे इसकी जरूरत वक्फ को भी है।