यरुशलम। पश्चिम एशिया में तनाव और इस्राइल पर ईरान के हमले की चेतावनी को लेकर बनाए जा रहे दबाव को लेकर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस्राइल से समझौता करना या पीछे हटना ईरान के लिए घातक होगा और उसे इसका दंड भुगतना होगा।
हमास प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या के बाद ईरान ने इस्राइल के खिलाफ हमला करने की तैयारी कर ली है। मगर अमेरिका समेत कई अन्य देश युद्ध को रोकने के लिए ईरान पर दबाव बना रहे हैं। इसे लेकर अयातुल्ला अली खामेनेई ने शत्रु देशों के मनोविज्ञान की निंदा की। उन्होंने कहा कि इस्राइल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की किसी योजना को लेकर ईरान पर दबाव डालना या उसे रोकना ठीक नहीं है। उन्होंने ईरान को चेताया कि सैन्य, राजनीतिक या आर्थिक किसी भी तरह की वापसी की जाती है तो ईरान को गंभीर दैवीय दंड झेलना होगा।
खामेनेई ने कहा कि सरकार को विश्व की प्रमुख शक्तियों की मांग के आगे झुकने की जरूरत नहीं है। वह इस दबाव का अपने लोगों की ताकत का लाभ उठाकर और विरोधी की क्षमता का आकलन करके सामना करना सकती है। उन्होंने दुश्मन की शक्ति को बढ़ा चढ़ाकर बताने और 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ईरान को कमजोर करने के अमेरिका, ब्रिटिश और इस्राइल के प्रयासों का उदाहरण भी दिया।
वहीं ईरान अब तक अपनी जवाबी कार्रवाई के समय को लेकर फैसला नहीं ले पा रहा है। विश्लेषक इसे रणनीतिक विराम मान रहे हैं। हालांकि ईरानी अधिकारी पश्चिमी देशों के संयम बरतने के आह्वान को खारिज कर चुके हैं। साथ ही इन देशों के दोहरे मानकों को धता बता रहे हैं। ईरान का पश्चिमी देशों पर आरोप है कि वह गाजा में इस्राइल की कार्रवाई पर चुप बैठ जाते हैं और ईरान से चाहते हैं कि वह हानिया की हत्या का बदला तक न ले। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने खामनेई के रुख का समर्थन किया है।