Search
Close this search box.
IAS Coaching
Search
Close this search box.

instagram bio for boys stylish font
instagram vip bio
instagram stylish bio
stylish bio for instagram
sad bio for instagram in hindi
sanskrit bio for instagram
instagram bio in marathi
rajput bio for instagram
facebook status in hindi
facebook page name ideas

क्यों पृथ्वी पर तेजी से दिन हो रहा है लंबा? नए शोध में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

जलवायु संकट बीते कुछ समय में दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती के तौर पर उभरा है। बर्फ की चादरों और वैश्विक ग्लेशियरों के पिघलने से ना केवल समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, बल्कि दिन भी लंबे हो रहे हैं। एक नई रिसर्च से पता चलता है कि ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से पृथ्वी ग्रह अधिक धीमी गति से घूम रहा है, जिससे दिनों की लंबाई ‘अभूतपूर्व’ दर से बढ़ रही है। नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के सुरेंद्र अधिकारी ने बताया है कि प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित रिसर्च पेपर से पता चलता है कि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका से बहने वाले पानी की वजह से भूमध्य रेखा के आसपास अधिक द्रव्यमान है।

एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि ध्रुवीय बर्फ के पिघलने की वजह से पृथ्वी ज्यादा धीमी गति से घूम रही है। इससे अभूतपूर्व दर से दिनों की लंबाई बढ़ रही है। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में एक शोध प्रकाशित किया है। इस शोध के हवाले से नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के एक अधिकारी ने बताया कि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका से बहने वाले पानी के कारण भूमध्य रेखा के आसपास अधिक द्रव्यमान है।

The Stunning Reason Why Our Days Are Becoming Longer

ईटीएच ज्यूरिख विश्वविद्यालय के बेनेडिक्ट सोजा का कहना है कि आमतौर पर पृथ्वी को एक गोले के तौर पर जाना जाता है, लेकिन इसे तिरछा गोलाकार कहना अधिक ठीक होगा, जो भूमध्य रेखा के चारों तरफ कुछ हद तक सत्सुमा की तरह उभरा है, जिसके आकार में लगातार बदलाव हो रहा है। दैनिक ज्वार से महासागरों और परतों पर प्रभाव पड़ता है। यह बदलाव टेक्टोनिक प्लेटों के बहाव, भूकंप और ज्वालामुखी के कारण होता है।

धीरे-धीरे बढ़ रहा है दिन

1900 से ज्यादा एकत्र किए गए डेटा का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने देखा कि 20वीं शताब्दी के दौरान जलवायु परिवर्तन के कारण दिन की लंबाई (एलओडी) में प्रति शताब्दी 0.3 और 1.0 मिलीसेकंड के बीच वृद्धि हुई। वर्ष 2000 के बाद से यह दर बढ़कर 1.33 मिलीसेकंड प्रति शताब्दी हो गई है। यह महत्वपूर्ण त्वरण पृथ्वी की सतह पर द्रव्यमान की गति से जुड़ा है। विशेष रूप से ध्रुवीय बर्फ और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण ये हुआ है, जो पिछले कुछ दशकों में तेज हो गया है।

आने वाले वर्षों में बढ़ जाएगा दिन

वैज्ञानिकों ने ग्लेशियल आइसोस्टैटिक एडजस्टमेंट (जीआईए) के प्रभाव को मापा है। पिछले हिमयुग के दौरान बर्फ की चादरों से संपीड़ित होने के बाद पृथ्वी की सतह धीरे-धीरे पलट रही है। यह पलटाव प्रभाव उस दर को कम कर रहा है जिस दर से दिन लंबे हो रहे हैं। जीआईए और चंद्र ज्वारीय घर्षण (पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण खिंचाव) के प्रभावों को मिलाकर शोधकर्ता समकालीन जलवायु परिवर्तन के महत्वपूर्ण प्रभाव से पहले, पिछले तीन सहस्राब्दियों में देखी गई दिन की लंबाई में लगातार वृद्धि की व्याख्या कर सकते हैं। शोध में जानकारी मिली कि यह जन परिवहन बीते तीस साल में पृथ्वी के आकार में हुए परिवर्तनों के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, आने वाले सालों में दिन बढ़ जाएगा।

Aryavart Kranti
Author: Aryavart Kranti

Share this post:

Digital Griot

खबरें और भी हैं...

best business ideas in Hyderabad

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल

Read More