नई दिल्ली। भारत में कई ऐसी जगहें हैं जो रहस्यमई हैं, वहां कुछ ऐसी अजीबोगरीब चीजें होती हैं जिसका अंदाजा लगाना भी इंसानी दिमाग से परे है। ऐसा ही कुछ होता है असम के एक छोटे से गांव जतिंगा में। यहां हर साल अगस्त से सितंबर के बीच एक अजीब घटना घटती है। इस समय के दौरान यहां देशभर से सैकड़ों पक्षी आते हैं और एक साथ आत्महत्या कर लेते हैं। इसी वजह से इस गांव को पूरी दुनिया में जाना जाता है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इस बात पर रिसर्च कर रहे हैं कि आखिरकार इस गांव में ऐसा क्या है कि सभी पक्षी आकर यहीं प्राण त्याग देते हैं। लेकिन अब तक इसका कुछ भी स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।
असम का एक ऐसा गांव है, जहां इसानों को भले ही सुकून मिलता हो, लेकिन यहां आकर पक्षी आत्महत्या कर लेते हैं। आज तक इस रहस्य का पता नहीं लग पाया है कि आखिर इस गांव में क्यों पक्षी आकर मौत को गले लगा लेते हैं?
यह गांव असम के बरेल पर्वत श्रेणी में मौजूद है। इस गांव में रहने वाली 12 सौ जातियां जो आदिवासी हैं, वहां आज भी गुमनामी में जीती हैं। इनका गुजारा जंगल, मुर्गी और पशुपालन से होता है. हालांकि अगस्त और सितंबर के महीने में यहां सब कुछ बदल जाता है। दुनिया भर से लोग यहां पक्षियों के रहस्यमई सुसाइड को देखने आते हैं और कई रिसर्चर अभी यहां शोध करने के लिए आते हैं। लेकिन इतने रिसर्च के बाद भी आज तक इस पहेली का कोई विशेष हल नहीं निकल पाया। भारत के किसी दूसरे गांव की तरह ही यह गांव भी है। हालांकि, इस गांव में सदियों से एक रहस्य छिपा हुआ है। यह पक्षियों की मौत का रहस्य है। इस रहस्य को वैज्ञानिक और शोधकर्ता अभी तक नहीं सुलझा पाए हैं। सितंबर से अक्टूबर के महीने में हर शाम 6 बजे से रात 10 बजे के बीच प्रवासी पक्षियों का झुंड यहां पहुंचता है।
असम के दिमा हासो जिले की पहाड़ी के बीच स्थित जतिंगा गांव में पक्षी आकर आत्महत्या करते हैं। इस गांव में न सिर्फ स्थानीय पक्षी, बल्कि प्रवासी पक्षी भी पहुंच जाते हैं, तो वे आत्महत्या कर लेते हैं। इसकी वजह से जतिंगा गांव को काफी रहस्यमयी माना जाता है। इस रहस्य को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने काफी जांच-पड़ताल की, लेकिन आत्महत्या की वजह का पता नहीं चल पाया। जतिंगा गांव में डेढ़ किमी लंबी एक लड़क है, जिसके ऊपर उड़ान भर रहे पक्षी कूदकर अपनी जान दे देते हैं। सूर्यास्त के बाद सैंकड़ों पक्षी तेज रफ्तार से आसमान से जमीन की तरफ आते हैं और अपनी जान देते हैं।
असम के जतिंगा गांव में पहले जेमे नागा रहते थे। एक दिन धान की खेतों की रखवाली कर रहे नागा आदिवासी समुदाय के लोगों ने पक्षियों के सामुहिक आत्महत्या की घटना देखी। प्रकृति के इस रूप को उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। इस घटना से समुदाय के लोग डर गए। 1905 में नागा समुदाय ने जैंतिया समुदाय को यहां की जमीन बेच दी।
लंबे समय से घट रही इस घटना के बारे में साल 1957 में दुनिया को पता चला। उस समय पक्षी विज्ञानी E.P. Gee किसी काम के सिलसिल में जतिंगा आए थे। इस दौरान उन्होंने खुद इस रहस्यमयी घटना को देखा। पक्षी विज्ञानी ने अपनी किताब ”द वाइल्डलाइफ ऑफ इंडिया” में इस घटना का किया है। उन्होंने लिखा है कि कई कोशिशों के बाद भी इसकी वजह समझ नहीं आ पा रहा हूं।