कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं और वहां से लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर हमलावर हैं। इसी बीच, कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव वीरेंद्र वशिष्ठ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वशिष्ठ ने उदयपुर घोषणा पत्र का हवाला देते हुए पद छोड़ने की घोषणा की और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने कहा, “उदयपुर घोषणा के मुताबिक, मैंने इस भूमिका में अपने पांच साल पूरे कर लिए हैं।”
यह ध्यान देने योग्य है कि वीरेंद्र वशिष्ठ, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के विदेशी दौरों के प्रमुख आयोजक थे, जिसमें अमेरिका का दौरा भी शामिल है। हालांकि, अब उनके इस्तीफे से पार्टी को झटका लगा है।
क्या है कांग्रेस का उदयपुर घोषणा पत्र?
मई 2022 में कांग्रेस ने राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर का आयोजन किया था। इस शिविर के अंत में जारी घोषणा पत्र में संगठनात्मक सुधारों के तहत ‘एक व्यक्ति, एक पद’ की नीति को लागू करने का संकल्प लिया गया था। साथ ही पार्टी के नेतृत्व को युवाओं को सौंपने और टिकट वितरण तथा पदाधिकारियों के कार्यकाल से संबंधित कई प्रस्ताव पास किए गए थे।
शिविर में लिए गए महत्वपूर्ण फैसले:
- एक परिवार के केवल एक सदस्य को टिकट देने का निर्णय लिया गया था।
- संगठन में किसी भी नेता का कार्यकाल अधिकतम पांच साल तक सीमित किया गया, जिसमें तीन साल के बाद ही पुनः पद ग्रहण करने की अनुमति होगी।
- पैराशूट उम्मीदवारों को टिकट देने पर प्रतिबंध लगाया गया।
घोषणा पत्र में सुझाए गए अन्य सुधार:
- ब्लॉक, मंडल, शहर, जिला और प्रदेश स्तर पर कांग्रेस संगठन का पुनर्गठन।
- 50 फीसदी पदों को 50 वर्ष से कम उम्र के नेताओं को देने की योजना।
- कांग्रेस कार्यसमिति में भी 50 फीसदी पदों पर 50 साल से कम उम्र के नेताओं की नियुक्ति।
- कांग्रेस अध्यक्ष के लिए एक सलाहकार समिति का गठन।
- संगठन में तीन नए विभागों का गठन।
- पदाधिकारियों के कार्यों का समय-समय पर मूल्यांकन और अच्छा प्रदर्शन करने वालों को इनाम देने की व्यवस्था।
अमेरिकी दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने आरक्षण संबंधी बयान पर सफाई दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि कांग्रेस का लक्ष्य इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने कहा, “कल मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया कि मैं आरक्षण के खिलाफ हूं… लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि मैं आरक्षण के खिलाफ नहीं हूं। हम आरक्षण को 50% की सीमा से आगे ले जाएंगे।”
राहुल गांधी ने क्या कहा था?
राहुल गांधी ने अमेरिका दौरे के दौरान मंगलवार को जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में छात्रों से बातचीत की थी। इस दौरान उनसे पूछा गया था कि भारत में आरक्षण कब तक जारी रहेगा। इसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा था कि कांग्रेस आरक्षण खत्म करने पर तब विचार करेगी जब सही समय होगा, जोकि फिलहाल नहीं है। राहुल ने कहा था, “जब आप वित्तीय आंकड़ों को देखते हैं, तो आदिवासियों को 100 रुपये में से 10 पैसे मिलते हैं, दलितों को 100 रुपये में से 5 रुपये, और ओबीसी को भी इतनी ही रकम मिलती है। असलियत यह है कि उन्हें भागीदारी नहीं मिल रही। भारत के प्रमुख बिजनेस लीडर्स की सूची देखें, आदिवासी, दलित या ओबीसी का नाम दिखाएं। मुझे लगता है कि शीर्ष 200 में केवल एक ओबीसी है, जबकि वे देश की 50 प्रतिशत आबादी हैं। हालांकि, अब आरक्षण ही एकमात्र साधन नहीं है। अन्य साधन भी हैं।”
बयान पर सफाई क्यों देनी पड़ी?
राहुल के इस बयान के बाद बहुजन समाज पार्टी और कुछ दलित संगठनों ने इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस पर तीखा हमला किया। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, “काफी लंबे समय तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया, न ही जातीय जनगणना कराई। अब कांग्रेस सत्ता में लौटने के लिए इन मुद्दों का इस्तेमाल कर रही है। इनके इस नाटक से सावधान रहें, ये कभी भी जातीय जनगणना नहीं करा पाएंगे।”