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कन्या राशि के जातकों पर केतु का प्रकोप जारी, 10 महीने बाद मिलेगी राहत, तब तक आजमाएं ये खास उपाय

हाइलाइट्स

18 मई 2025 को केतु सिंह राशि में प्रवेश करेगा.केतु का नकारात्मक प्रभाव कन्या राशि के जातकों पर है.

Ketu Gochar Effect : ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को मायावी ग्रह माना गया है. इसके साथ ही दोनों वक्री चलने वाले ग्रह माने गए हैं. यही कारण भी है कि राहु और केतु हमेशा वक्री राशि में ही गोचर करते हैं. ज्योतिषीय गणना के अनुसार, जहां केतु की उच्च राशि धनु है वहीं राहु की उच्च राशि वृषभ है. ऐसे में राहु वृषभ और केतु धनु राशि को शुभ फल प्रदान करते हैं. लेकिन वर्तमान समय में राहु मीन और केतु कन्या राशि में बने हुए हैं. चूंकि, सुखों के कारक शुक्र की उच्च राशि मीन है, ऐसे में मीन राशि के लोगों पर राहु का कोई बड़ा प्रभाव नहीं होता. लेकिन, केतु के गोचर से कन्या राशि के लोगों को भारी भरकम नुकसान उठाना पड़ता है. तो आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे से कन्या राशि के जातकों को कब मिलेगी केतु से मुक्ति और क्या हैं इसके उपाय.

केतु गोचर
ज्योतिष गणना के अनुसार, वर्तमान में केतु कन्या राशि में बना हुआ है और यह 17 मई 2025 तक यहीं विराजित रहेंगे. वहीं इसके अगले दिन 18 मई को शाम 07 बजकर 35 मिनट पर कन्या राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे. इस राशि में केतु 4 दिसंबर, 2025 तक रहेंगे. इसके बाद 5 दिसंबर, 2025 को केतु सिंह राशि से निकलकर कर्क राशि में पहुंचेंगे. इस गोचर के बाद ही कन्या राशि के जातकों को केतु से मुक्ति मिलेगी.

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करें ये उपाय
– कन्या राशि के लोगों आराध्य भगवान गणेश माने जाते हैं, ऐसे में आपको बप्पा की पूजा बुधवार के दिन विधि पूर्वक करना चाहिए. देवा को दूर्वा, मोदक और मालपुए अर्पित करें और गणेश चालीसा का पाठ करें.
– कन्या राशि के लोग केतु के अशुभ प्रभाव से बचाव के लिए रोज स्नान के बाद भगवान गणेश का अभिषेक करें. लेकिन ध्यान रहे अभिषेक गंगा जल में साबुत हरी मूंग मिलाकर करना है.

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– यदि आपकी कुंडली में अशुभ ग्रहों का प्रभाव है तो बुधवार के दिन पूजा के बाद गाय को चारा खिलाएं. ऐसा करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होगा.
– यदि आप अपने कार्य क्षेत्र में उन्नति चाहते हैं तो वहां भगवान गणेश की प्रतिमा जरूर रखें. इससे आपकी आय में वृद्धि होगी.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion

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Aryavart Kranti
Author: Aryavart Kranti

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