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Friday Upay For Money: शुक्रवार को करें यह एक आसान उपाय, माता लक्ष्मी हो जाएंगी खुश, धन-दौलत से भर जाएगा घर

Friday Upay For Money: शुक्रवार का दिन धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है. इस दिन लोग व्रत रखकर माता लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में करते हैं, ताकि वे खुश होकर उनके जीवन से आर्थिक संकट को दूर करें. उनके जीवन में सुख, समृद्धि के साथ धन और दौलत में भी बढ़ोत्तरी करें. जिन लोगों की आर्थिक स्थिति खराब है, बैंक का लोन है या धन का संकट बना हुआ है, वे लोग शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी से जुड़ा एक आसान उपाय कर सकते हैं. इससे उनकी सभी परेशानी दूर हो सकती है. आइए जानते हैं उस उपाय के बारे में.

शुक्रवार को करें लक्ष्मी स्तुति, मिलेगा धन-दौलत
तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव का कहना है कि शुक्रवार के दिन लक्ष्मी पूजा करते समय आपको लक्ष्मी स्तुति करनी चाहिए. लक्ष्मी स्तुति करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होगा. आपके दुख, रोग, दोष दूर होंगे. लक्ष्मी कृपा से आपकी लाइफ से धन की कमी दूर हो सकती है.

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लक्ष्मी स्तुति करने की विधि
शुक्रवार को शाम के समय में जब सूर्यास्त हो जाए और अंधेरा होने लगे तो पूजा स्थान पर माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें. माता लक्ष्मी को लाल गुलाब, गुड़हल, पीली कौड़ियां, सिंदूर, धूप, दीप, नैवेद्य, कमलगट्टा, बताशे, मखाने की खीर आदि अर्पित करें. आप चाहें तो माता लक्ष्मी को दूध, चावल और चीनी से बनी खीर का भी भोग लगा सकते हैं. या फिर दूध से बनी सफेद मिठाई का भोग लगाएं.

इसके बाद आसन पर बैठ जाएं. फिर माता लक्ष्मी का ध्यान करके श्री लक्ष्मी स्तुति का पाठ प्रारंभ करें. य​ह संस्कृत में लिखा है, इसलिए इसका शुद्ध उच्चारण करें. यह पाठ आपको हर शुक्रवार को करना चाहिए.

लक्ष्मी स्तुति या महालक्ष्मी स्तुति
आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

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धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।
जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।
रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।

मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।
सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।
शुभं भवतु कल्याणी आयुरारोग्य सम्पदाम्।

Tags: Astrology, Dharma Aastha

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Aryavart Kranti
Author: Aryavart Kranti

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