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PM मोदी के रूस दौरे के क्‍या हैं मायने, राष्‍ट्रपति पुतिन के साथ किस बारे में होगी बात?


नई दिल्‍ली :

PM Modi Russia Visit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पहली बार रूस पहुंचे हैं. पीएम मोदी का रूस पहुंचने पर शानदार स्‍वागत किया गया. हालांकि इस दौरे की टाइमिंग पर सवाल उठाए जा रहे हैं. यह वक्‍त ऐसा है जब यूक्रेन के साथ रूस का युद्ध दो साल बीतने के बाद भी जारी है और पश्चिमी देश भी पीएम मोदी के इस दौरे पर निगाह बनाए हुए हैं. पीएम मोदी ने अपने रूस दौरे के लिए उस दिन को चुना, जिस दिन नाटो की अहम समिट होनी थी. पश्चिमी देशों के नाराज होने की आशंका के बावजूद पीएम मोदी जब रूस गए हैं तो एक बात तो साफ है कि उनकी यह यात्रा भारत के लिहाज से बेहद महत्‍वपूर्ण है. 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में आज पीएम मोदी और राष्‍ट्रपति पुतिन की वार्ता होगी. 

इससे पहले उज्‍बेकिस्‍तान में हुई थी मुलाकात 

साल 2021 में रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने भारत का दौरा किया था और 2022 में पीएम मोदी को दौरा करना था. हालांकि यूक्रेन में युद्ध शुरू हो गया और यह यात्रा नहीं हो सकी. 2000 से अब तक दोनों देशों के बीच 21 शिखर सम्‍मेलन हो चुके हैं. पीएम मोदी और पुतिन आज डिनर पर एक दूसरे से मिले. इससे पहले 2022 में उज्‍बेकिस्‍तान के समरकंद में एससीओ शिखर सम्‍मेलन के दौरान दोनों की मुलाकात हुई थी. वैश्विक संबंधो में देखा जाए तो यह कोई बड़ा अंतराल नहीं है, लेकिन भारत और रूस की दोस्‍ती को देखते हुए इसे बड़ा अंतराल कहा जा सकता है. वहीं चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग से रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की दो महीने में दो बार हुई मुलाकात हुई है. ऐसे में पीएम मोदी का यह दौरा मायने रखता है 

चीन को नियंत्रित करने के लिए जरूरी थी यात्रा 

रूस और भारत की दोस्‍ती बहुत पुरानी है. हमें जब भी जरूरत पड़ी है रूस ने आगे बढ़कर दोस्‍ती निभाई है. ऐसे में भारत अपने सबसे देखे-परखे दोस्‍त को नाराज नहीं करना चाहता है. खासतौर पर जब रूस के साथ चीन के संबंध नई बुलंदियों को छू रहे हैं. दुनिया में चीन ऐसा इकलौता देश है, जिसके साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण है तो रूस के संबंध काफी बेहतर हैं. यूक्रेन युद्ध के बाद से ही चीन ने रूस का खुलकर समर्थन किया और दोनों देशों के संबंध बेहद मजबूत हुए हैं. ऐसे में भारत अपने दोस्‍त रूस को चीन के पाले में नहीं जाने देना चाहता हे. साथ ही भारत को उसकी सीमाओं पर लगातार चीन की विस्‍तारवादी नीति से चुनौती मिलती रहती है. ऐसे में भारत यह जरूर चाहेगा कि रूस अपने प्रभाव से चीन को नियंत्रित रखे. भारत की तेज रफ्तार से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था के लिए भी चीन के साथ किसी भी तरह का टकराव ठीक नहीं है. 

पीएम मोदी के दौरे का आर्थिक कारण भी 

2014 में पीएम मोदी और पुतिन की पहली शिखर बैठक हुई थी और 2025 के लिए 30 बिलियन डॉलर के व्यापार और 50 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय निवेश का लक्ष्य तय किया गया था. उस वक्‍त व्यापार 10 बिलियन डॉलर से भी कम था. हालांकि पिछले कुछ सालों में इसमें जबरदस्‍त इजाफा हुआ है. वित्त वर्ष 2024 में यह करीब 66 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. हालांकि इसमें भारत ने 62 बिलियन डॉलर का आयात किया है. ऐसे में पीएम मोदी की कोशिश होगी कि व्‍यापार को संतुलित किया जाए. साथ ही कृषि, फार्मास्युटिकल, इंजीनियरिंग सामान, रासायनिक उत्‍पाद के साथ ही ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने पर बात हो सकती है. भारत की ओर से रुपये में भुगतान किया जाता है. ऐसे में इस सरप्‍लस राशि को लेकर भी बात हो सकती है. 

भारत की रक्षा जरूरतों पर भी पुतिन से होगी बात 

पीएम मोदी की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच वैश्विक सुरक्षा से लेकर यूक्रेन-रूस युद्ध पर भी बात हो सकती है. इसके साथ ही पीएम मोदी और पुतिन के बीच रक्षा सौदों पर भी बात आगे बढ़ सकती है.  भारत कुछ लड़ाकू विमान खरीदने पर भी विचार कर रहा है. ऐसे में रूस से लड़ाकू विमानों के सौदे पर बात हो सकती है. फाइटर जेट एसयू-57 को खरीदने पर दोनों देश बातचीत कर सकते हैं. वहीं मैंगो आर्मर-पियर्सिग टैंक राउंड की फैक्‍ट्री को लेकर भी समझौता हो सकता है. वहीं एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति को फिर से शुरू करने पर बात बन सकती है. 2018 में पांच एस-400 भारत को देने का समझौते हुआ था. इनमें तीन की आपूर्ति हो चुकी है और दो अभी भी बाकी हैं. साथ ही मिलिटी लॉजिस्टिक समझौता भी हो सकती है. साथ ही दोनों देश पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमान को विकसित करने को लेकर भी साथ आ सकते हैं. 

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Author: Aryavart Kranti

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