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पैसा न तर्जुबा, बस डाल दिया हाथ, ‘चार बूंदों वाला’ प्रोडक्‍ट बेच खड़ी कर दी 17000 करोड़ की कंपनी

हाइलाइट्स

रामचंद्रन ने सेंट थॉमस कॉलेज से बीकॉम और पीजी किया. पढ़ाई के बाद अकाउंटेंट के तौर पर नौकरी शुरू कर दी.मन हमेशा खुद का बिजनेस शुरू करने पर टिका रहा.

नई दिल्‍ली. अपना बिजनेस खड़ा करने की मंशा तो हर किसी में होती है, लेकिन कभी पैसों की तंगी और कभी मौका न मिल पाने की वजह से अक्‍सर ख्‍वाहिशें सपना बनकर रह जाती हैं. लेकिन, सफलता की यह कहानी एक ऐसे व्‍यक्ति की है, जिसने न तो पैसों की तंगी को बहाना बनाया और न ही मौके की तलाश में समय गंवाया. उसने नौकरी छोड़कर पहली फुर्सत में ही अपना बिजनेस शुरू कर दिया, बिना सक्‍सेस या फेल्‍योर को सोचे और आज 17 हजार करोड़ रुपये की कंपनी बना डाली. उनके एक ही प्रोडक्‍ट ने पूरी इंडस्‍ट्री को हिला दिया और देश के घर-घर में पहुंच बना ली.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं ज्‍योति लैबोरेटरीज (Jyothy Laboratories) के फाउंडर मूथदत पंजन रामचंद्रन की. उन्‍होंने अपने भाई से 5 हजार रुपये उधार लेकर बिजनेस शुरू किया था. शुरुआत में तो कई साल तक संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उन्‍होंने हार नहीं मानी और अपने समर्पण, लगन और क्‍वालिटी प्रोडक्‍ट के दम पर बड़ी सफलता हासिल की.

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एक प्रोडक्‍ट ने मचा दी धूम
वैसे तो ज्‍योति लैब आज दर्जनों तरह के प्रोडक्‍ट बनाती है, लेकिन कंपनी के एक ही प्रोडक्‍ट ने इतना नाम कमा लिया कि हर किसी की जुबां पर नाम चढ़ गया था. कंपनी आज डिश बार से लेकर डिटर्जेंट तक कई प्रोडक्‍ट बनाती है, लेकिन उजाला नाम से जारी कपड़ों के व्‍हाइटनर ने घर-घर में अपनी पहचान बना ली थी. उसका ‘उजाला चार बूंदों वाला’ विज्ञापन तो याद ही होगा. 2000 के दशक में यह प्रोडक्‍ट हर सफेद कपड़े पर लगा मिलता था.

फेल होती हर कोशिश
केरल के थ्रिसूर जिले में रहने वाले रामचंद्रन ने सेंट थॉमस कॉलेज से बीकॉम और पीजी करने के बाद अकाउंटेंट के तौर पर नौकरी शुरू कर दी. लेकिन, उनका मन हमेशा खुद का बिजनेस शुरू करने पर टिका रहा. इसकी शुरुआत भी उन्‍होंने कर दी और लॉन्‍ड्री व्‍हाटनर बनाने की कोशिश में जुट गए. अपने किचन से कई बार कोशिश करने के बाद सफलता उनके हाथ न लगी.

एक मैग्‍जीन से मिला आइडिया
आखिर रामचंद्रन के हाथ केमिकल इंडस्‍ट्री की एक मैग्‍जीन लगी जिसमें पर्पल डाई से कपड़े चमकाने और सफेद बनाने की बात लिखी थी. फिर क्‍या था, रामचंद्रन ने सब छोड़कर डाई बनाना शुरू कर दिया. पर्पल डाई बनाने में उन्‍होंने पूरा साल खर्च कर दिया और आखिर वह फॉर्मूला हाथ लग ही गया जो किस्‍मत बदलने वाला था.

भाई से लिया उधार और शुरू किया कारोबार
साल 1983 में रामचंद्रन ने अपने भाई से 5000 रुपये उधार लेकर अपनी जमीन पर छोटी सी फैक्‍ट्री डाली. बिजनेस को बेटी के नाम शुरू किया और इस तरह ज्‍योति लैब की स्‍थापना हुई. कंपनी ने जब उजाला सुप्रीम लिक्विड फैब्रिक व्‍हाइटनर लांच किया तो बाजार में तहलका मच गया. 1997 तक यह प्रोडक्‍ट पूरे देश का पसंदीदा बन चुका था. आज उनकी कंपनी दर्जनों प्रोडक्‍ट बेचती है, फिर भी उजाला की बिक्री सबसे ज्‍यादा होती है. ज्‍योति लैब का मार्केट कैप आज 16900 करोड़ रुपये पहुंच गया है.

Tags: Success Story, Successful business leaders

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Aryavart Kranti
Author: Aryavart Kranti

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