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ग्राम प्रधान की मदद से जन जन तक पहुँचेंगी स्वास्थ्य और पोषण सेवाएं

  • परिवार नियोजन और मातृ शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों को मजबूती देने के लिए सरकार की पहल
  • प्रदेश की राजधानी में 65 प्रशिक्षकों को किया गया तैयार, फतेहपुर और वाराणसी से शुरूआत

लखनऊ। गांव के प्रधान समुदाय के बीच एक महत्वपूर्ण फेथलीडर माने जाते हैं । इसे देखते हुए उ प्र सरकार स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कराने की तैयारी में है । इसकी पहल शासन के जरिये हो चुकी है और लखनऊ में 65 स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मियो और फतेहपुर व वाराणसी जिले के पंचायती राज प्रतिनिधियों को बतौर प्रशिक्षक दो दिनों का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ये प्रशिक्षक परिवार नियोजन , मातृ शिशु स्वास्थ्य सेवाओं एवं पोषण संबंधी सेवाओं को लेकर ग्राम प्रधानों को प्रशिक्षित करेंगे। यह कार्यक्रम फिलहाल फतेहपुर और वाराणसी जिले से शुरू किया जा रहा है।

ग्राम प्रधानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उ प्र, सेंटर फॉर कैटलाइजिंग चेंज (सी थ्री ) के सहयोग से लखनऊ के एक होटल में दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया । इस योजना के पीछे यह सोच है कि “स्वस्थ गाँव” की अवधारणा, सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण में एक महत्वपूर्ण थीम है, जिसमें पंचायतें जागरूकता बढ़ाने, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और स्वास्थ्य व पोषण कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

इस संबंध में परिवार कल्याण निदेशालय की संयुक्त निदेश मातृत्व स्वास्थ्य डॉ शालू गुप्ता का कहना है कि यह एक अनूठा हस्तक्षेप है और यह बहुत आवश्यक है क्योंकि हमें समुदाय को संगठित करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यदि प्रधान हमारा समर्थन करते हैं, तो हम गुणवत्ता के साथ और कम समय में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल कर सकेंगे।
सिफ्सा की महाप्रबंधक प्रशिक्षण डॉ रिंकू श्रीवास्तव ने कहा कि यह मॉड्यूल प्रधानों की क्षमताओं को विकसित करने, परिवार नियोजन सेवाओं में सुधार लाने, स्वास्थ्य प्रणाली की समझ बढ़ाने, फ्रंटलाइन वर्कर्स की भूमिका को समझने और उनके योगदान पर केंद्रित है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य प्रधानों को सशक्त बनाना है ताकि वे समुदाय के परिवार नियोजन और स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकें।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक परिवार नियोजन कार्यक्रम डॉ सूर्यांश ओझा ने कहा कि परिवार नियोजन को प्राथमिकता देते हुए स्वास्थ्य व पोषण पर प्रधानों का प्रशिक्षण कई कारणों से महत्वपूर्ण है। स्थानीय जनप्रतिनिधि के रूप में, प्रधान समुदाय की आवश्यकताओं और गतिविधियों को गहराई से समझते हैं, जिससे वे परिवार नियोजन और अन्य स्वास्थ्य व पोषण कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू कर सकते हैं। उनके प्रशिक्षण से समुदाय की भागीदारी बढ़ती है, जिससे समय पर निर्णय लेना और स्वास्थ्य सेवाओं का उचित प्रबंधन संभव हो पाता है। आयुष्मान आरोग्य मंदिर के देखभाल रखरखाव और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जन सहभागिता बढ़ाने में प्रधान बेहद प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं।”

प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण से मिलेगी गति

दो दिवसीय कार्यक्रम में बतौर प्रशिक्षक, राज्य स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले फतेहपुर जिले के सहायक पंचायती राज अधिकारी राम सेवक वर्मा का कहना है कि यह एक लंबे समय से प्रतीक्षित कदम है जब पंचायतों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के केंद्र के रूप में मान्यता दी जा रही है। यह एकजुटता एलएसजीडी (स्थानीय स्व-शासन संस्थानों) में वांछित परिवर्तन लाएगी। इसी जिले के अमौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ पुष्कर कटियार मानते हैं कि यह एक अनूठा हस्तक्षेप है और यह बहुत आवश्यक है क्योंकि हमें समुदाय को संगठित करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यदि प्रधान हमारा समर्थन करते हैं, तो हम गुणवत्ता के साथ और कम समय में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल कर सकेंगे। वाराणसी जिले की उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी कल्पना सिंह ने कहा कि यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए समुदाय की भागीदारी को बढ़ाएगा और अंतिम मील सेवाओं को सुनिश्चित करेगा

स्वस्थ और कुपोषण मुक्त होंगे गांव

सहयोगी संस्थान सी थ्री की राज्य प्रमुख सुचेता शुक्ला ने कहा कि, “संपूर्ण रूप में, प्रधानों के प्रशिक्षण में निवेश करना स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच को बढ़ाता है, समुदाय की भागीदारी को मजबूत करता है और दीर्घकालिक विकास उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। मैं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की सराहना करती हूँ कि उन्होंने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है और यह आशा करती हूँ कि यह प्रशिक्षण प्रधानों को स्वास्थ्य एवं पोषण विषय पर अच्छी समझ बनाने के साथ-साथ रणनीति बनाकर गाँव को स्वस्थ एवं कुपोषण मुक्त बनाने के लिए प्रेरित करने एवं मार्गदर्शन प्रदान करने का काम करेगा।’’

इन प्रमुख बिंदुओं पर मिला प्रशिक्षण

• स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले सामाजिक कारक
• पंचायत सदस्यों का स्वास्थ्य व पोषण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता
• गर्भावस्था से संबंधित सरकारी योजनाएं एवं अभियान
• परिवार नियोजन का आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य पर प्रभाव
• कम वजन के शिशुओं की देखभाल
• पूर्ण टीकाकरण
• सही पोषण
• स्वास्थ्य से संबंधित सभी गतिविधियां, सरकारी योजनाएं एवं अभियान
• स्वास्थ्य की सेवाएं सुनिश्चित करवाने में पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका
• लैंगिंक असमानता, पीढ़ी दर पीढ़ी महिलाओं पर प्रभाव
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Aryavart Kranti
Author: Aryavart Kranti

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