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यौम-ए-आशूर पर शहर में गूंजी या हुसैन …या हुसैन की सदाएं, हिंदू समाज से लोग भी हुए शामिल

लखनऊ। मुहर्रम की दसवीं तारीख यौम-ए-आशूर के दिन शहर में या हुसैन… या हुसैन की सदाएं गूंजती रहीं। हक और इंसानियत को बचाने के लिये अपनी जान कुर्बान करने वाले पैगंबर इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन सहित कर्बला के शहीदों का गम मनाने के लिये अकीदतमंद बेकरार दिख रहे थे।
बुधवार को मुसलमानों ने अपने-अपने तरीकों से हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को पुरसा दिया। राजधानी में दिन भर मातम और ताजिया को सुपुर्द-ए-खाक करने का सिलसिला चलता रहा। घरों में नज्र का आयोजन किया गया। सुन्नी समुदाय ने जहां रोजा रखा तो शिया समुदाय ने फाका कर हजरत इमाम हुसैन खिराजे अकीदत पेश की।
या हुसैन… या हुसैन की सदाओं के साथ यौम-ए-आशूर के दिन बुधवार को विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित इमामबाड़ा नाजिम साहब से जुलूसे यौम-ए-आशूर निकला तो शहर की सभी मातमी अंजुमनें अपने-अपने अलम के साथ मातम करती हुई साथ हो लीं। जुलूस निकलने से पहले इमामबाड़े में मजलिस को मौलाना फरीदुल हसन ने खिताब किया।
मौलाना ने कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन की दर्दनाक शहादत पर रोशनी डाली। मजलिस के बाद इमामबाड़ा परिसर से जुलूस निकलना शुरू हुआ। नौहाख्वानी व सीनाजनी करती हुई शहर की तमाम अंजुमने जुलूस के साथ चल पड़ी। जुलूस में शामिल सैकड़ों की संख्या में अजादार जंजीर का मातम (छुरियों का मातम) और कमां लगाकर इमाम हुसैन को अपने खून से पुरसा देते हुए चल रहे थे। जुलूस अपने तय रास्ते शिया कालेज, नक्खास, चिड़िया बाजार, बिल्लौचपुरा, बुलाकी अड्डा, चौकी मिल एरिया होते हुये कर्बला तालकटोरा पर पहुंचकर संपन्न हुआ। जुलूस में मुख्य रूप से मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी के साथ स्वामी सारंग भी शामिल हुये। स्वामी सारंग ने जंजीर का मातम कर अपने खून से हजरत इमाम हुसैन को पुरसा दिया।

Aryavart Kranti
Author: Aryavart Kranti

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