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हिरोशिमा दिवस (6 अगस्त) : इतिहास दोहराने की कागार पर दुनिया! तीसरे विश्व युद्ध के आसार!

अगस्त को दुनिया भर के लोग हिरोशिमा दिवस मनाते हैं। जापानी शहर हिरोशिमा पर द्वितीय विश्व युद्ध के परमाणु हमले की सालगिरह मनाने वाले इस दिन का उद्देश्य परमाणु हथियारों के विनाशकारी परिणामों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना है। हिरोशिमा दिवस उन लोगों का भी सम्मान करता है जो हमले में मारे गए और जो दशकों की पीड़ा सहने के लिए पीछे रह गए।

परमाणु बम विस्फोटों के दुखद परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और शांति राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए हर साल 6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस मनाया जाता है। 1945 में इसी दिन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापानी शहर हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था। भीषण परमाणु विस्फोट जिसमें हजारों लोग मारे गए और शहर का 90% हिस्सा नष्ट हो गया। 70,000 से 126,000 नागरिक और लगभग 20,000 सैनिक मारे गए। तीन दिन बाद जापान के एक अन्य शहर नागासाकी में हुए बम विस्फोट में 80,000 लोग मारे गए। परीक्षण के अलावा यह पहला संघर्ष था जब परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया था। उस समय से, किसी भी युद्ध में परमाणु या परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं किया गया है। 6 अगस्त 2024 को हत्याओं की 79वीं बरसी होगी।

आज की स्थिति की बात करें तो दुनिया इस समय हिंसा का एक ऐसा दौर देख रही है जहां पर कई देश एक दूसरे से लड़ रहे हैं। एक जमाने में विश्व युद्ध देख चुकी है दुनिया फिर कई जंग के मुहाने पर खड़ी है बांग्लादेश में आग लगी पड़ी है। रूस-यूक्रेन अभी भी एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं। इजरायल हमास का युद्ध थम नहीं रहा है। इजराइल हमास पर अटैक करने की रणनीति बना रहा है और ब्रिटेन में नई सरकार के बनते ही हिंसा का अलग दौर देखा जा रहा है यानी इस समय कई देश आस्थिरता के दौर से गुजर रहे हैं। उनके वहां हो रही हिंसा का असर दूसरे कई देशों पर पड़ रहा है। सप्लाई चेन टूट चुकी है और महंगाई चरम पर चल रही है।

रक्षा मामलों के जानकार मानते हैं कि 2010 के बाद दुनिया मल्टीपोलर बन गई है, जिसमें एक तरफ अमेरिका और यूरोपीय देश हैं तो दूसरी तरफ पुतिन के नेतृत्व में रूस फिर से मजबूत होकर उभरा है। चीन भी एक शक्तिशाली देश बनकर दुनिया में सुपरपावर बन गया है। आज दुनिया के सभी देश एक दूसरे से जुड़े हैं, किसी एक की भी सप्लाई चेन टूट जाए तो ग्लोबल मार्केट में समस्या आ सकती है। उदाहरण के लिए अगर ताइवान को कुछ होता है तो पूरे सेमीकंडक्टर मार्केट पर असर पड़ेगा। मिडिल ईस्ट में अब अमेरिका का उतना बोलबाला नहीं रहा जितना पहले हुआ करता था।

दुनिया के कई देश आपस में लड़ रहे हैं। क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है? मिडिल ईस्ट के कई देशों में चल रहा तनाव न जाने कौन-सा विनाशक मोड़ लेगा। इस युद्ध में ड्रोन और मिसाइलों का खूब इस्तेमाल हो रहा है। हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि परमाणु युद्ध का खतरा मंडराने लगा है। वो इतिहास की पहली घटना थी जब अमेरिका ने जापान के दो शहरों पर एटम बम गिराए थे। इस परमाणु हमले में लाखों लोगों की जान चली गई। हिरोशिमा और नागासाकी की आने वाली कई पीढ़ियों को विरासत में कई खतरनाक बीमारियां झेलनी पड़ीं। आज फिर दुनिया के कई देशों में जंग छिड़ी है। रूस-यूक्रेन के बीच लंबे वक्त से युद्ध चल रहा है, वहीं ईरान के हमले के जवाब में इजराइल ने भी पलटवार कर दिया है। दुनिया के कई देश आपस में लड़ रहे हैं। क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है? मिडिल ईस्ट के कई देशों में चल रहा तनाव न जाने कौन-सा विनाशक मोड़ लेगा। इस युद्ध में ड्रोन और मिसाइलों का खूब इस्तेमाल हो रहा है। हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि परमाणु युद्ध का खतरा मंडराने लगा है।

मार्च में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि उनका देश न्यूक्लियर वॉर के लिए तैयार है। वहीं इजराइल और ईरान के बीच जो जंग चल रही है उसमें भी परमाणु हमले का खतरा बढ़ता जा रहा है। हालांकि ईरान हमेशा से इनकार करता रहा है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन कई एक्सपर्ट बताते हैं कि ईरान के पास ऐसी तकनीक है कि वो एक हफ्ते में परमाणु बम बना सकता है।

यूरोप से लेकर मध्य-पूर्व तक अशांति और अस्थिरता का दौर पहले से ही चल रहा है। ऐसे में अगर ईरान ने इजराइल पर हमला किया तो यह तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका को और बढ़ा सकता है। अभी रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास युद्ध चरम पर है। इससे पहले आर्मीनिया-अजरबैजान युद्ध भी हो चुका है। दूसरी तरफ पाकिस्तान-ईरान, पाकिस्तान-अफगानिस्तान, चीन-ताईवान, चीन-फिलिपींस और भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान के साथ उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच भी तनाव चरम पर है तो ऐसे में इजराइल पर ईरानी हमले से पूरे मध्य-पूर्व में संघर्ष बढ़ सकता है।

यूनाइटेड नेशंस के सेक्रेटरी एंटोनियो गुटेरेस ने कुछ दिन पहले कहा था कि दुनिया में परमाणु युद्ध का खतरा इस दौर में सबसे ज्यादा है। इंसानियत को बचाने का एक ही रास्ता है और वो है ‘परमाणु निरस्त्रीकरण।’ इसके लिए उन सभी देशों को बिना किसी शर्त के बातचीत करने की जरूरत है जिनके पास परमाणु बम हैं। दुनिया के 90 फीसदी न्यूक्लियर बम अमेरिका और रूस के पास हैं। इसलिए ‘न्यूक्लियर डिसआर्मामेंट’ में सबसे महत्वपूर्ण योगदान इन देशों का ही है। अगर किसी भी देश ने परमाणु बम का इस्तेमाल किया तो सबकुछ बर्बाद हो जाएगा। न सिर्फ इंसान… जानवर, प्रकृति सबकुछ खत्म हो जाएगा बल्कि जहां पर अटैक होगा वो जगह पूरी तरह भस्म हो जाएगी। इसके साथ ही आस-पास के इलाकों में भी भारी तबाही होगी। दूसरे विश्व युद्ध का जख्म आज भी जापान नहीं भूल सका है। आज दुनिया के कई देशों के पास उससे भी कई गुना ज्यादा शक्तिशाली परमाणु बम हैं। अगर किसी ने उसका इस्तेमाल कर लिया तो क्या होगा इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।

Aryavart Kranti
Author: Aryavart Kranti

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