लेटेस्ट न्यूज़
7 Nov 2024, Thu

2023 में सड़क दुर्घटनाओं में प्रतिदिन 474 लोगों की मृत्यु

नई दिल्ली। देश में साल 2023 में सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या को लेकर चौकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। राज्यों द्वारा केंद्र सरकार के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.73 लाख लोग मारे गए। इसका मतलब है कि हर दिन औसतन 474 लोगों की जान गई या लगभग हर तीन मिनट में एक मौत हुई।
समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, यह एक वर्ष में मारे गए लोगों की अधिकतम संख्या है, जब से सरकार ने समस्या की गंभीरता और दुर्घटनाओं के पीछे के कारणों का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सड़क दुर्घटना के आंकड़ों को एकत्र करना शुरू किया है।
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि सड़क दुर्घटनाओं के कारण घायल होने वालों की संख्या किस तरह बढ़ रही है क्योंकि पिछले साल अधिकतम लगभग 4.63 लाख लोग घायल हुए थे, जो 2022 की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक था।
सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या 1.68 लाख थी, जबकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या 1.71 लाख थी। दोनों एजेंसियों ने अभी तक 2023 के लिए सड़क दुर्घटना के आंकड़े प्रकाशित नहीं किए हैं।
कई राज्यों में 2022 की तुलना में हुई ज्यादा दुर्घटनाएं
मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम और तेलंगाना सहित कम से कम 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2022 की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई, जबकि आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, केरल और चंडीगढ़ जैसे राज्यों में मृत्यु दर में मामूली गिरावट आई।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में, पिछले साल उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा मौतें (23,652) हुईं, उसके बाद तमिलनाडु (18,347), महाराष्ट्र (15,366), मध्य प्रदेश (13,798) और कर्नाटक (12,321) का स्थान रहा। हालांकि, सड़क दुर्घटनाओं के कारण घायल होने वालों के मामले में तमिलनाडु 72,292 लोगों के साथ सूची में सबसे ऊपर रहा, उसके बाद मध्य प्रदेश (55,769) और केरल (54,320) का स्थान रहा।
सूत्रों ने बताया कि पिछले साल मारे गए लोगों में से लगभग 44 प्रतिशत (लगभग 76,000) दोपहिया वाहन सवार थे, यह प्रवृत्ति पिछले कुछ सालों से जारी है। उन्होंने कहा कि पिछले साल मारे गए दोपहिया वाहन सवारों में से लगभग 70 प्रतिशत हेलमेट नहीं पहने हुए थे।
अलग लेन बनाने का बनाया जाए नियम
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है कि केंद्र और राज्य सरकारें दोपहिया वाहन चालकों की मौतों को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाएं, क्योंकि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में निजी परिवहन का सबसे लोकप्रिय साधन दोपहिया वाहन ही हैं।
पंजाब सरकार के यातायात और सुरक्षा सलाहकार नवदीप असीजा ने कहा, फिलहाल, केवल हेलमेट और एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम ही दो ऐसी विशेषताएं हैं जो दुर्घटना की स्थिति में मोटरसाइकिल चालकों को मौत या चोट के जोखिम से बचाती हैं। अब समय आ गया है कि सरकार शहरी क्षेत्रों से गुजरने वाले राजमार्गों पर दोपहिया वाहनों के लिए अलग लेन बनाने के लिए एक अनिवार्य नियम बनाए।
इसकी पुष्टि करते हुए सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ रोहित बलूजा ने कहा कि मलेशिया में राजमार्गों पर दोपहिया वाहनों के लिए अलग लेन बनाने से दुर्घटनाओं और मौतों में कमी आई है।
उन्होंने कहा, हमें जिस चीज पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, वह है सभी संबंधित एजेंसियों की जिम्मेदारी तय करना। हमारे सिस्टम में विज्ञान के रूप में ट्रैफ़िक इंजीनियरिंग गायब है और ट्रैफ़िक प्रबंधन को परिभाषित नहीं किया गया है। इसलिए कोई जवाबदेही नहीं है। सरकारी संस्थाओं को परामर्श पर निर्भर रहने के तरीके से बाहर आना चाहिए। उन्हें इस बड़ी समस्या से निपटने के लिए सिस्टम के भीतर क्षमता निर्माण के लिए आगे आना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *