नई दिल्ली, एजेंसी। भारत के दिग्गज उद्योगपति और आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला आज 14 जून 2025 को 58 साल के हो गए। वह न केवल एक सफल कारोबारी हैं, बल्कि देश की सबसे अमीर बेटी अनन्या बिड़ला के पिता भी हैं। बेहद कम उम्र में जब उन्होंने ग्रुप की कमान संभाली, तब शायद ही किसी को अंदाजा रहा होगा कि आने वाले तीन दशकों में वह इस विरासत को कितनी ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।
28 की उम्र में संभाली कंपनी
कुमार मंगलम बिड़ला ने साल 1995 में केवल 28 वर्ष की उम्र में आदित्य बिड़ला ग्रुप की बागडोर संभाली थी। यह वह दौर था जब उनके पिता आदित्य विक्रम बिड़ला का आकस्मिक निधन हुआ था। परिवार, इंडस्ट्री और ग्रुप के अंदर कई लोगों को संदेह था कि इतनी कम उम्र का यह युवक इतने बड़े साम्राज्य को कैसे संभालेगा। लेकिन कुमार ने अपने विजन, समझदारी और साहस से न केवल ग्रुप को संभाला, बल्कि उसे कई गुना बढ़ा दिया।
आज अरबों का टर्नओवर
जब उन्होंने ग्रुप की कमान संभाली, उस समय इसका सालाना टर्नओवर करीब 15,000 करोड़ रुपये था। लेकिन आज यह बढ़कर 4।5 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो चुका है। यानी उन्होंने ग्रुप का कारोबार लगभग 30 गुना बढ़ा दिया है।
कुमार मंगलम बिड़ला के नेतृत्व में ग्रुप ने सेमेंट, मेटल्स, फाइबर, केमिकल्स, टेलीकॉम, फाइनेंस, रिटेल और एडटेक जैसे तमाम क्षेत्रों में विस्तार किया। UltraTech Cement, Aditya Birla Capital, Vodafone Idea और Birla Institute of Technology & Science (BITS Pilani) जैसे ब्रांड्स आज देश-दुनिया में पहचान बना चुके हैं।
कुमार मंगलम का प्रबंधन स्टाइल सधा हुआ, शांत और बेहद रणनीतिक माना जाता है। उन्होंने परंपरा और नवाचार का एक ऐसा संतुलन साधा, जिससे ग्रुप पुरानी विरासत को भी बनाए रख सका और नई तकनीक और मार्केट ट्रेंड्स को भी अपनाता रहा।
सबसे अमीर बेटी के पापा
आज उनकी बेटी अनन्या बिड़ला भी एक सफल बिजनेसवुमन, सिंगर और उद्यमी हैं। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वह भारत की सबसे अमीर युवा महिला बन चुकी हैं। इसमें कोई शक नहीं कि इसके पीछे उनके पिता की सोच और समर्थन की अहम भूमिका रही है।
कुमार बिड़ला को देश-विदेश में कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा जा चुका है। वह IIT दिल्ली, IIM अहमदाबाद और BITS पिलानी जैसे संस्थानों से जुड़े रहे हैं और शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान उल्लेखनीय है।
उनका यह 58वां जन्मदिन न केवल उनकी उम्र का एक पड़ाव है, बल्कि उस सफर की कहानी भी है, जिसमें उन्होंने न सिर्फ एक बिखरते हुए साम्राज्य को संजोया, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। आज वह उन चुनिंदा उद्योगपतियों में हैं जिनकी गिनती भारत के सबसे प्रभावशाली कॉर्पोरेट लीडर्स में होती है।