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26 Oct 2025, Sun

‘अदालतें वसूली के लिए रिकवरी एजेंट नहीं’, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह मामले पर में की सख्त टिप्पणी

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों को रिकवरी एजेंट की तरह काम करने से सख्त मना किया है। कोर्ट का कहना है कि दीवानी मामलों को आपराधिक केस में बदलने की प्रक्रिया कम होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह ने मामले पर सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैसे वसूलने के लिए किसी को गिरफ्तार करने का ट्रेंड आजकल आम हो गया है। पैसे की रिकवरी के लिए कई लोग आपराधिक मामले दर्ज करवा देते हैं, जबकि यह एक दीवानी मामला होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनवाई उत्तर प्रदेश में बढ़ते आपराधिक मामलों के संदर्भ में की थी। एक मामले में पैसे की वसूली के लिए व्यक्ति के खिलाफ किडनैपिंग का मामला दर्ज कर दिया गया था।
यूपी सरकार ने बताई पुलिस की दुविधा
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रखा। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में पुलिस बीच में फंस जाती है। अगर दीवानी मामलों में पुलिस केस दर्ज नहीं करती है, तो अदालत से फटकार सुनने को मिलती है और अगर केस दर्ज होता है, तो इसे पक्षपात और कानून के खिलाफ बताया जाता है। जस्टिस कांत ने कहा, पुलिस को केस दर्ज करते समय अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे आपराधिक कानून का उल्लंघन न हो और न्यायिक प्रणाली में मुश्किल न आए। कोर्ट के अनुसार, कोर्ट विवादित पक्षों के लिए कोई रिकवरी एजेंट नहीं हैं। यह न्यायिक प्रणाली में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने दिया सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को हर जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त करने का सुझाव दिया है। कोर्ट का कहना है कि जब भी पुलिस को दीवानी और आपराधिक मामलों को लेकर उलझन हो, तो केस दर्ज करने से पहले नोडल अधिकारी से परामर्श लिया जा सकता है।

By Aryavartkranti Bureau

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