नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने आम लोगों को बड़ी राहत दी है। अब वाहनों को फास्टैग न होने पर हो दोगुना टोल शुल्क नहीं देना होगा। अब अगर वाहन चालक का फास्टैग सक्रिय नहीं है तो वो यूपीआई से टोल दे सकता है। इस दौरान उसे 1.25 गुना टोल शुल्क देना होगा।
दरअसल, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय टोल शुल्क भरने के नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। नए नियमों के तहत वाहनों में फास्टैग न होने पर यूपीआई से पेमेंट करने की अनुमति होगी। इसके लिए उसे सवा गुनी यानी 1.25 गुना टोल टैक्स देना होगा। नए नियम को लेकर केंद्रीय मंत्रालय ने शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी है। यह नई व्यवस्था 15 नवंबर से लागू की जाएगी।
गौरतलब है कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय नकदी से भुगतान पर फर्जीवाड़ा रोकने के उद्देश्य से यह फैसला लिया है। 2022 तक फास्टैग की पहुंच लगभग 98% हो चुकी है। जिसके चलते टोल बूथों पर औसत प्रतीक्षा का समय घटकर 47 सेकेंड हो गया था। वर्तमान में अगर किसी वाहन में फास्टैग नहीं है या फिर उसमें पर्याप्त बैलेंस नहीं है तो उसके दोगुना भुगतान करना पड़ता था। नए नियम के लागू हो जाने पर अब जुर्माना मात्र सवा गुना ही लगेगा।
केंद्रीय मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, नए नियम लागू होने के बाद अगर फास्टैग में बैलेंस नहीं है तो यूपीआई से पैमेंट करने पर उसे सवा गुना टोल टैक्स देना होगा। वहीं, अगर टोल प्लान पार करते वक्त इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रहण सिस्टम में गड़बड़ी की वजह से पेमेंट नहीं होता है तो उस वाहन से कोई टोल शुल्क नहीं लिया जाएगा और उसे फ्री में टोल पार करने की अनुमति दी जाएगी।
कई बार हम अपने फॉस्टैग का बैलेंस चेक नहीं करते और जब टोल प्लाजा पार करते हैं तो बैलेंस नहीं होने के चलते वहां हमें दोगुना भुगतान करना पड़ता है। यह भुगतान अगर हम कैश में करते हैं तो इसमें पारदर्शिता नहीं होती है। नकद भुगतान की वजह से हर साल करीब 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। वहीं नए नियम के मुताबिक, जब हमारे फॉस्टैग में बैलेंस नहीं होता तो यूपीआई से पेमेंट कर सकेंगे। इस दौरान वाहन चालक को दोगुना की जगह सवा गुना ही भुगतान करना होगा।