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28 Oct 2025, Tue

भारत से दूर होकर बड़ी गलती कर रहा अमेरिका… पूर्व सचिव ने ट्रंप की नीतियों पर खड़े किए सवाल

वॉशिंगटन, एजेंसी। अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से भारत पर टैरिफ बढ़ाने की अमेरिका में ही आलोचना की जा रही है। भारत को लेकर ट्रंप प्रशासन की नीतियों से अमेरिकी जानकार खफा दिखाई दे रहे हैं। पूर्व अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी सचिव जीना रायमोंडो ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश और व्यापार नीति की तीखी आलोचना करते हुए चेतावनी दी है कि वाशिंगटन भारत के साथ एक बड़ी गलती कर रहा है और दुनिया के प्रमुख सहयोगियों को अलग-थलग कर रहा है।
हार्वर्ड केनेडी स्कूल के राजनीति संस्थान में पूर्व वित्त सचिव लॉरेंस समर्स के साथ बातचीत के दौरान रायमोंडो ने ट्रंप प्रशासन पर अलगाववादी रास्ता अपनाने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि ऐसी नीतियों से अमेरिका का वैश्विक प्रभाव कमजोर हो रहा है।
भारत के साथ अमेरिका कर रहा बड़ी गलती
रायमोंडो ने कहा, “हम भारत के साथ एक बड़ी गलती कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने हमारे सभी अलाय को नाराज कर दिया है। अमेरिका फर्स्ट एक बात है, अमेरिका अलोन एक विनाशकारी नीति है।”
उन्होंने तर्क दिया कि अमेरिका के मौजूदा रुख से खास आर्थिक और रणनीतिक साझेदारियों के कमजोर होने का खतरा है। उन्होंने कहा, “इस प्रशासन की जिन 20 सबसे बड़ी बातों के लिए मैं आलोचना करूंगी, उनमें से एक है हमारे सभी सहयोगियों को नाराज करना। जो अमेरिका यूरोप और जापान का अच्छा दोस्त, साझेदार या सहयोगी नहीं है, वह एक कमजोर अमेरिका है।”
अमेरिकी कूटनीति में बदलाव की मांग
रायमोंडो ने अपनी बातचीत में अमेरिकी कूटनीति में नए सिरे से बदलाव की अपील की है। साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रभावी वैश्विक जुड़ाव के लिए मजबूत गठबंधनों की जरूरत है, एकतरफावाद की नहीं।
उन्होंने आगे कहा, “मुझे नहीं लगता कि यूरोप या दक्षिण-पूर्व एशिया के ज्यादातर हिस्सों के साथ मजबूत रिश्तों के बिना हम प्रभावी हो सकते हैं। मेरी इच्छा है कि यूरोप के साथ हमारे व्यापारिक रिश्ते और भी मजबूत हों। मुझे लगता है कि हम भारत के साथ एक बड़ी गलती कर रहे हैं।”
भारत-अमेरिका रिश्ते
पिछले कुछ महीनों में अमेरिका और भारत के आर्थिक रिश्तों में दूरी आई है। अमेरिका ने भारत के ऊपर 25 फीसद टैरिफ और रूस से तेल खरीदने को लेकर 25 फीसद अतिरक्त टैरिफ लगाया। अमेरिका के इस कदम से भारतीय कंपनियों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं अमेरिका का कहना है कि वह रूस से तेल खरीद बंद करने के लिए दबाव बना रहा है।

By Aryavartkranti Bureau

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