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21 Nov 2025, Fri

अमेरिका ने भारत से मंगवाया ‘जेट फ्यूल’! रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी बनी संकटमोचक

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत ने पहली बार अमेरिकी पश्चिमी तट के लिए जेट ईंधन का निर्यात किया है। यह खबर इसलिए बड़ी है क्योंकि अमेरिका जैसे ऊर्जा संपन्न देश को ईंधन की कमी पूरी करने के लिए भारत की मदद लेनी पड़ी है। लॉस एंजिल्स में सप्लाई की किल्लत के चलते यह एक दुर्लभ व्यापारिक मौका भारत के हाथ लगा है, जिसे ऊर्जा कंपनी शेवरॉन के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज की जामनगर रिफाइनरी ने पूरा किया है।
पिछले महीने, कैलिफ़ोर्निया स्थित शेवरॉन की एक प्रमुख रिफाइनरी में आग लगने से उत्पादन ठप हो गया था, जिसके बाद अमेरिका के पश्चिमी तट पर जेट ईंधन का स्टॉक तीन महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया था। इसी मौके का फायदा उठाकर भारत ने यह ऐतिहासिक निर्यात किया है।
कैसे आई अमेरिका के सामने ऐसी नौबत?
यह पूरा मामला कैलिफ़ोर्निया के एल सेगुंडो (El Segundo) में स्थित शेवरॉन की विशाल रिफाइनरी से जुड़ा है। यह रिफाइनरी प्रतिदिन लगभग 2,85,000 बैरल उत्पादन क्षमता वाली है। अक्टूबर में यहाँ आग लगने के बाद कंपनी को कई यूनिट बंद करनी पड़ीं, जिससे पश्चिमी तट पर जेट फ्यूल का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ। शेवरॉन का कहना है कि एल सेगुंडो यूनिट की मरम्मत का काम 2026 की शुरुआत तक ही पूरा हो पाएगा। इस लंबी अवधि तक, पश्चिमी तट पर ईंधन की सप्लाई टाइट रहने की आशंका है।
जामनगर रिफाइनरी बनी संकटमोचक
व्यापारिक सूत्रों और शिपिंग डेटा के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा संचालित जामनगर बंदरगाह से 28 से 29 अक्टूबर के बीच लगभग 60,000 मीट्रिक टन (यानी लगभग 4,72,800 बैरल) एविएशन फ्यूल ‘हफ़निया कल्लांग (Hafnia Kallang)’ नामक टैंकर पर लादा गया। इस जहाज को कैसलटन कमोडिटीज (Castleton Commodities) ने चार्टर किया है और दलालों का अनुमान है कि यह दिसंबर के पहले पखवाड़े में लॉस एंजिल्स पहुँच जाएगा। यह शिपमेंट तब किया गया जब अमेरिकी पश्चिमी तट पर जेट ईंधन की कीमतें एशिया के बेंचमार्क सिंगापुर FOB कीमतों से $10 प्रति बैरल तक ऊपर थीं।
क्या भारत बनेगा अमेरिका का नियमित आपूर्तिकर्ता?
हालांकि भारत ने इस मौके को भुनाया है, लेकिन व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत से अमेरिका के लिए नियमित निर्यात का रास्ता नहीं बनेगा। इसके पीछे मुख्य कारण शिपिंग लागत है। व्यापारियों का कहना है कि उत्तर-पूर्वी एशिया (जैसे दक्षिण कोरिया) से शिपमेंट सस्ता पड़ता है।
आंकड़ों के मुताबिक, दक्षिण कोरिया से अमेरिकी पश्चिमी तट तक 40,000 मीट्रिक टन ईंधन भेजने की लागत करीब $40 प्रति टन पर स्थिर है। भारत और अमेरिका के बीच इस तरह का समुद्री मार्ग कम उपयोग होता है, इसलिए यहाँ की स्पॉट शिपिंग दरें आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। पिछले महीने भी, उत्तर-पूर्वी एशिया से अमेरिका के पश्चिमी तट को होने वाला जेट फ्यूल निर्यात पाँच महीने के उच्चतम स्तर (लगभग 600,000 टन) पर था। इसका मतलब है कि भारत का यह निर्यात एक ‘दुर्लभ’ व्यापारिक मजबूरी का परिणाम है, न कि बाज़ार में कोई बड़ा बदलाव।

By Aryavartkranti Bureau

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