ढाका। बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बुधवार को सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की एक बैठक हुई। इसमें बांग्लादेश के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरुल भी मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने भारत के खिलाफ तीखे बयान दिए। आसिफ ने कहा कि बांग्लादेश भारत के प्रोपेगेंडा के खिलाफ एकजुट है और किसी भी तरह के उकसावे का मुकाबला करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश किसी कमजोर देश की तरह नहीं दिखेगा, बल्कि एकता और बहादुरी के साथ सभी चुनौतियों का सामना करेगा।
इस बयान के कुछ ही समय बाद, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी पार्टी के राजनीतिक प्रतिद्वंदी और अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर जोरदार हमला किया। शेख हसीना ने कहा कि मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने में नाकामयाबी दिखाई है। हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने हिंदुओं के नरसंहार में सक्रिय रूप से भाग लिया और यही नहीं, उनके पिता शेख मुजीर्बुर रहमान और बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश भी रची गई थी।
इसलिए शेख हसीना ने छोड़ा देश
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने अपने वर्चुअल संबोधन में 5 अगस्त को ढाका में हुए हिंसा की घटना का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कैसे हथियारबंद प्रदर्शनकारियों ने उनके आधिकारिक आवास गणभवन में घुसने की कोशिश की। शेख हसीना ने कहा कि अगर सुरक्षा गार्डों ने गोलीबारी की होती, तो कई लोग मारे जाते, लेकिन उन्होंने गार्डों से कहा कि गोली न चलाएं। इस घटना के बाद उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने बताया कि यह घटना महज 25-30 मिनट की थी, लेकिन स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि उन्हें सुरक्षा के लिए देश छोड़ना पड़ा।
शेख हसीना पर क्या बोले यूनुस?
इसी बीच, मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना पर भी कड़ा हमला किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि शेख हसीना की सरकार ने लोकतंत्र को खत्म कर दिया है, फर्जी चुनावों के माध्यम से सत्ता हथियाई है, और खुद को और अपनी पार्टी को निर्विरोध विजेता घोषित किया है। यूनुस ने हसीना के शासन को एक फासीवादी शासन बताया, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
हालांकि, बांग्लादेश के नेताओं ने भारत के खिलाफ अपने बयान जारी करने के बाद अब तक इस मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। बांगलादेश की राजनीतिक स्थिति और उसमें फैली अराजकता को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को पहले अपने देश में फैले हिंसा और अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को रोकने की कोशिश करनी चाहिए। बांग्लादेश को सबसे पहले अपने अंदर की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, न कि बाहरी प्रोपेगेंडा और बयानबाजी पर।