नई दिल्ली, एजेंसी। देश में गुड़ की प्रमुख उत्पादक मंडी मुजफरनगर में गुड़ का कारोबार निरंतर बढ़ोतरी की ओर अग्रसर है। पिछले चार सीजन में गुड़ का सालाना कारोबार करीब दुगुना हो गया है। गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर की मंडी देश में गुड़ की सबसे बड़ी मंडी है। मंडी समिति के कारोबारियों के मुताबिक सालाना 4500 करोड़ रुपए का कारोबार तो मुजफ्फरनगर से ही हो रहा है। जयपुर की सूरजपोल मंडी स्थित फर्म महालक्ष्मी एंटरप्राइजेज के मुरारीलाल अग्रवाल कहते हैं कि इस बार सीजन में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से बने 50 से ज्यादा किस्मों के गुड़ बाजार में बिक रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि गुड़ बनता तो आज भी पुराने तरीके से ही है, मगर उसकी पैकिंग, गुणवत्ता और खरीद-बिक्री के नए तरीकों ने उसे भी हाइटैक बना दिया है। अग्रवाल ने बताया कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर, हापुड़, शामली, बागपत, मेरठ और अवध के सीतापुर, लखीमपुर, शाहजहांपुर तथा बरेली तो दश्कों से गुड़ बनाते आए हैं। मगर अब प्रदेश के कई दूसरे जिलों में गुड़ का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा है। अयोध्या, सुल्तानपुर, गोंडा, बस्ती, अंबेडकरनगर और हरदोई जैसे जिलों में खूब कोल्हू चल रहे हैं। अयोध्या के गुड़ को तो योगी आदित्यनाथ सरकार ने विशेष श्रेणी में शामिल किया है। इसी वजह से गुड़ उद्योग खूब रोजगार भी दे रहा है।
कीमतों में ज्यादा इजाफा नहीं, डिमांड तेजी से बढी
मुरारीलाल ने कहा कि पिछले दो साल में गुड़ की कीमतों में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है, लेकिन डिमांड तेजी से बढ़ी है। इस सीजन में जयपुर मंडी में अच्छी क्वालिटी का गुड़ 42 से 48 रुपए प्रति किलो थोक में बिक रहा है। कारोबारी गुड़ में कई प्रकार के प्रयोग कर रहे हैं तथा गुड़ की आकर्षक पैकिंग में बाजार में बिक्री की जा रही है। जयपुर मंडी में मंगलवार को गुड़ ढैया 40 से 48 रुपए, पतासी 41 से 43 रुपए तथा लड्डू गुड़ 43 से 46 रुपए प्रति किलो थोक में बेचा जा रहा है। जयपुर मंडी में प्रतिदिन पांच ट्रक गुड़ की आवक हो रही है। उधर उत्तर प्रदेश में खांडसारी नीति में गुड़ उत्पादन को प्रोत्साहन दिया गया है। नई नीति के तहत खांडसारी इकाईयों को 100 घंटे के भीतर लाइसेंस देने की व्यवस्था की गई है। इन कोशिशों के चलते ही मुजफ्फरनगर में सीजन के दिनों में 35000 कोल्हू चलते हैं। उत्तर प्रदेश में इस समय करीब 70000 से ज्यादा कोल्हू चल रहे हैं। चार साल पहले इसके आधे भी नहीं चलते थे।