भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने गुरुवार को राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में अनुशासन और एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए 10 सूत्रीय नीति जारी की। इसके तहत अब से सीनियर हो या जूनियर खिलाड़ी, सभी को घरेलू क्रिकेट और टूर्नामेंट्स में खेलना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही दौरे पर परिवार और निजी स्टाफ की मौजूदगी पर पाबंदी और किसी सीरीज के दौरान व्यक्तिगत रूप से किसी विज्ञापन का शूट करने पर प्रतिबंध जैसे कई नीतियां शामिल हैं।
नीतियों का पालन नहीं करने पर गंभीर परिणाम
इन नीतियों का पालन नहीं करने पर खिलाड़ियों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इनमें केंद्रीय अनुबंधों से उनकी रिटेनर फीस में कटौती और आईपीएल में खेलने पर रोक शामिल है। टी20 विश्व कप 2024 जीतने के बाद से भारतीय टीम के औसत प्रदर्शन के बाद बीसीसीआई ने यह सख्त कदम उठाया है। भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में 3-0 से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद टीम ने 10 साल बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी भी गंवा दी। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम इंडिया को पांच मैचों की सीरीज में 3-1 से हार का सामना करना पड़ा था।
टीम में अनबन की रिपोर्ट्स के बाद बीसीसीआई ने लिया फैसला
इतना ही नहीं, पिछले कुछ समय से टीम में अनबन और खिलाड़ियों के साथ न रहने की भी खबरें सामने आ रही थीं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि पर्थ में जीत हासिल करने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने अलग अलग जश्न मनाया था। वहीं, कुछ खिलाड़ी एकसाथ यात्रा भी नहीं कर रहे थे। ऐसे में बीसीसीआई को टीम में एकजुटता लाने के लिए यह कदम उठाना पड़ा है।
परिवार को भी सीमित समय तक रहने की अनुमति
बोर्ड ने विदेशी दौरों के दौरान खिलाड़ियों के साथ परिवारों के रहने के लिए केवल दो सप्ताह की अवधि को मंजूरी दी है। इसके अलावा निजी स्टाफ और व्यावसायिक फोटो शूट पर प्रतिबंध लगाए हैं। बोर्ड ने कहा है कि नीतियों में किसी तरह की राहत या बदलाव के लिए मुख्य कोच गौतम गंभीर, मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर और जनरल मैनेजर से अनुमति लेनी होगी। इस दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि अब से खिलाड़ियों को दौरे के दौरान अलग से यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी तथा दौरे या मैच के जल्दी समाप्त होने की स्थिति में उन्हें जल्दी नहीं जाने दिया जाएगा।