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7 Sep 2025, Sun

ऑनलाइन फूड ऑर्डर करने वालों के लिए बड़ा अपडेट,स्वीगी-जोमेटो के बिल में जल्द जुड़ने वाला है एक नया चार्ज

नई दिल्ली । ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म ज़ोमैटो और स्विगी से खाना ऑर्डर करने वाले ग्राहकों को जल्द ही बड़ा झटका लग सकता है। जीएसटी काउंसिल के एक अहम फैसले के बाद अब इन कंपनियों को डिलीवरी चार्ज पर भी 18त्न जीएसटी चुकाना होगा, जिससे उन पर हर साल 180-200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। कंपनियों ने साफ संकेत दिए हैं कि वे इस बोझ को अकेले नहीं उठाएंगी, बल्कि इसे ग्राहकों और डिलीवरी पार्टनर्स पर डालेंगी।
क्या है पूरा मामला?
जीएसटी काउंसिल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ऑनलाइन मार्केटप्लेस द्वारा वसूले जाने वाले डिलीवरी शुल्क पर 18त्न जीएसटी लागू होगा। अब तक यह टैक्स सीधे तौर पर डिलीवरी पार्टनर्स पर लागू नहीं होता था, जिससे कंपनियां इस देनदारी से बच रही थीं। इस फैसले के बाद कंपनियों की लागत में भारी इजाफा हो गया है। सूत्रों के मुताबिक, ज़ोमैटो और स्विगी इस अतिरिक्त लागत की भरपाई के लिए दोहरी रणनीति पर काम कर रही हैं। इसके तहत या तो डिलीवरी पार्टनर्स की कमाई में कटौती की जाएगी या फिर ग्राहकों से हर ऑर्डर पर एक नई ‘सर्विस लेवीÓ वसूली जाएगी।
कंपनियां नहीं उठाएंगी बोझ
इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ज़ोमैटो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, टैक्स का यह बोझ पूरी तरह से कंपनी द्वारा वहन नहीं किया जाएगा। इसकी वसूली आंशिक रूप से डिलीवरी वर्कर्स की कमाई से और आंशिक रूप से ग्राहकों से की जाएगी। स्विगी ने भी इसी तरह की रणनीति अपनाने की पुष्टि की है।
यह विवाद नया नहीं है। इससे पहले दिसंबर 2024 में, ज़ोमैटो को टैक्स अधिकारियों की ओर से 803 करोड़ रुपये के बकाए टैक्स और जुर्माने का नोटिस मिला था। स्विगी को भी इसी तरह की देनदारी का सामना करना पड़ा था। अब काउंसिल के इस नए स्पष्टीकरण ने तस्वीर पूरी तरह साफ कर दी है।
कीमतें बढ़ना तय
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले का असर सिर्फ फूड डिलीवरी पर ही नहीं, बल्कि क्विक कॉमर्स सेक्टर पर भी पड़ेगा। अब तक ग्राहकों को लुभाने के लिए दी जाने वाली मुफ्त या सस्ती डिलीवरी की पेशकश खत्म हो सकती है और हर ऑर्डर पर ग्राहकों को 18त्न जीएसटी समेत अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है। ब्रोकरेज फर्मों ने भी इसे दोनों कंपनियों के लिए एक नकारात्मक संकेत बताया है, हालांकि उनका मानना है कि कंपनियां अपने मुनाफे पर असर कम करने के लिए इसका बोझ ग्राहकों और पार्टनर्स पर डाल देंगी।

By Aryavartkranti Bureau

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