क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो काम को अंतिम समय तक टालते रहते हैं? अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। काम को टालने की इस आदत को प्रोक्रेस्टिनेशन कहा जाता है, और यह आजकल एक आम समस्या बन गई है, जिसने हमारी उत्पादकता और मानसिक सेहत दोनों पर नकारात्मक असर डाला है।
यह सिर्फ आलस नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं, जैसे अपूर्णता का भय, तनाव का प्रबंधन न कर पाना, या काम को बहुत मुश्किल समझना। सोशल मीडिया और डिजिटल डिस्ट्रैक्शन ने इस समस्या को और भी बढ़ा दिया है, जहां लोग जरूरी काम को छोड़कर तुरंत मिलने वाले ‘डोपामिन हिट’ के लिए रील या वीडियो देखने लगते हैं। इस आदत के कारण काम का बोझ बढ़ता जाता है, जिससे अंत में बहुत ज्यादा तनाव और चिंता पैदा होती है।
यह एक ऐसा खराब साइकिल है जो न केवल आपकी व्यक्तिगत और पेशेवर जिदगी को प्रभावित करता है, बल्कि आपकी सेहत को भी नुकसान पहुंचाता है। प्रोक्रेस्टिनेशन की समस्या पर ध्यान देना और इसे समझना जरूरी है, क्योंकि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य और भविष्य की सफलता के लिए एक बड़ी बाधा बन सकता है।
परफेक्शन और डर का जाल
प्रोक्रेस्टिनेशन का एक बड़ा कारण परफेक्शन का डर है। बहुत से लोग काम को तब तक शुरू नहीं करते जब तक वे उसे पूरी तरह से सही करने के लिए तैयार न हों। यह डर उन्हें काम शुरू करने से ही रोक देता है। वे सोचते हैं कि अगर वे परफेक्ट नहीं कर पाए, तो वे असफल हो जाएंगे, जिससे काम टल जाता है।
थकान और ऊर्जा की कमी
आज की लाइफस्टाइल में लगातार काम और तनाव के कारण लोग मानसिक और शारीरिक रूप से थक जाते हैं। इस थकान के कारण, दिमाग ऐसे कामों से बचना चाहता है जिनमें ज्यादा ऊर्जा या प्रयास की जरूरत होती है। इस वजह से वह उन कामों को टाल देता है, जिससे थकान का चक्र और भी मजबूत होता जाता है।
डिजिटल डिस्ट्रैक्शन का बढ़ता प्रभाव
स्मार्टफोन और सोशल मीडिया ने हमारे दिमाग को इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन (तुरंत संतुष्टि) की आदत डाल दी है। जब हमें कोई मुश्किल काम करना होता है, तो दिमाग उसे टालकर सोशल मीडिया स्क्रॉलिंग या वीडियो देखने जैसे आसान और तुरंत खुशी देने वाले काम में लग जाता है, जिससे प्रोक्रेस्टिनेशन की समस्या बढ़ जाती है।
सेल्फ-रेगुलेशन और आदत को बदलना
प्रोक्रेस्टिनेशन से लड़ने के लिए आपको अपने दिमाग को छोटे-छोटे काम करने की आदत डालनी होगी। बड़े काम को छोटे हिस्सों में बांट लें और एक बार में एक ही हिस्से पर ध्यान दें। पोमोडोरो टेक्नीक (25 मिनट काम, 5 मिनट ब्रेक) जैसी तकनीकें इसमें बहुत कारगर साबित होती हैं।
डिस्क्लेमर : सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से विशेषज्ञ राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें। आर्यावर्त क्रांति इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।