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7 Aug 2025, Thu

‘दिव्यांगजनों के लिए भी फुटपाथ जरूरी’, अदालत ने केंद्र सरकार को गाइडलाइन बनाने का आदेश दिया

नई दिल्ली, एजेंसी। देश के सभी नागरिकों, विशेषकर दिव्यांगों और बुजुर्गों को सुरक्षित फुटपाथ उपलब्ध कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह चार हफ्तों के भीतर ऐसे दिशा-निर्देश बनाए, जो देशभर में सभी फुटपाथों को सुलभ और अतिक्रमणमुक्त बनाएं। यह आदेश डॉक्टर एस. राजासेकरन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें उन्होंने भारत के फुटपाथों की दयनीय स्थिति और दिव्यांगजनों की परेशानियों को उजागर किया था।
याचिकाकर्ता ने बताया कि देश में कई जगह फुटपाथ हैं ही नहीं, और जहां हैं वहां या तो टूटे-फूटे हैं या अतिक्रमण के शिकार हैं। इससे न सिर्फ दिव्यांगों की आवाजाही मुश्किल होती है बल्कि आम पैदल यात्रियों की जान भी खतरे में रहती है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का हवाला देते हुए दलील दी गई कि हर नागरिक को समानता और जीवन का अधिकार है, जिसमें सुरक्षित चलना भी शामिल है।
तीन अहम मुद्दों पर गाइडलाइन बनाने को कहा
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने कहा कि अभी तक इस विषय पर कोई ठोस राष्ट्रीय दिशा-निर्देश नहीं हैं। इसलिए केंद्र सरकार को तीन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर नियम बनाने होंगे। पहला, सभी नई और पुरानी सड़कों पर तकनीकी मानकों के साथ फुटपाथ की अनिवार्यता तय करना। दूसरा, डिजाइन ऐसा हो कि दिव्यांगजनों को कहीं भी दिक्कत न हो। तीसरा, अतिक्रमण को हटाने और रोकने के लिए प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करना।
अगर केंद्र फेल हुआ तो सुप्रीम कोर्ट बनाएगा नियम
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर केंद्र सरकार तय समय में गाइडलाइन नहीं बनाती है, तो अदालत खुद अमिकस क्यूरी (अदालत के मित्र) की मदद से दिशानिर्देश तैयार करेगी। इसके साथ ही राज्यों को छूट दी गई है कि वे या तो इन राष्ट्रीय गाइडलाइनों को अपनाएं या अपनी गाइडलाइंस बनाएं, लेकिन मानक एक जैसे होने चाहिए।

By Aryavartkranti Bureau

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