कुवैत, एजेंसी। अभी अप्रैल का महीना ही चल रहा है और राजधानी दिल्ली का पारा 41 डिग्री के पार पहुंच गया है। जिसके बाद दिल्ली में पावर कट हो रहे हैं और इन्हीं पावर कट ने सियासी पारा भी बढ़ा दिया है। विपक्ष इसका जिम्मेदार दिल्ली की नई सरकार को बता रहा है। गर्मी ने पूरे देश में कहर ढा रखा है, वहीं इसके कारण हो रही बिजली कटौती ने मुसीबत और बढ़ा दी है। भारत ही नहीं दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन ने ऐसी स्थिति पैदा की है। इस गर्मी में खाड़ी देश कुवैत का भी बुरा हाल है।
कुवैत में गर्मी बढ़ने के साथ-साथ बिजली की खपत भी बढ़ गई है, जिसको पूरा करना देश के मौजूदा बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मुश्किल हो गया है और देश में दो-दो घंटे के पावर कट हो रहे हैं। बुधवार को बिजली मंत्रालय ने घोषणा की कि देश के आठ कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में बिजली आपूर्ति बाधित रहेगी, क्योंकि वहां बिजली का भार ज्यादा है और गर्मियों की तैयारी के लिए कुछ बिजली उत्पादन इकाइयों का मेंटेनेंस किया जा रहा है।
बिजली कटौती ने लोगों की परेशानी को और बढ़ा दिया है। मंत्रालय ने एक पोस्ट में ये भी कहा है, “रखरखाव अवधि और बिजली कटौती काम की प्रकृति और स्थिति के आधार पर बढ़ाई या घटाई जा सकती है।”
कुवैत में अप्रैल में ही जून जैसी गर्मी
खाड़ी देश में इस साल अप्रैल में ही जून जैसी ही गर्मी पढ़ने लगी है। कुवैत में आमतौर पर जून 44 डिग्री से ऊपर तापमान पहुंच जाता है, लेकिन ये हाल इस साल दो महीने पहले हो गया है। गर्मी का आलम ये है कि दिन में लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं और बिजली कटौती ने घरों में रहना भी मुश्किल कर दिया है।
दिल्ली में 41 डिग्री से ऊपर पहुंचा पारा
इस साल दिल्ली में भी पावर कट ज्यादा हो रहे हैं, क्योंकि अप्रैल में ही गर्मी बढ़ने से बिजली डिमांड बढ़ गई है। BSES के एक बयान में कहा गया है कि शहर की अधिकतम बिजली की मांग 25 मार्च से 4,070-4,360 मेगावाट थी, लेकिन अप्रैल में ये रिकॉर्ड स्तर से बढ़ गई है। 9 अप्रैल तक ये डिमांड 5646 मेगावाट पहुंच गई है, जबकि 2024 में इस समय ये डिमांड 4351 थी और 2023 में 3457 मेगावाट थी।