यरुशलम, एजेंसी। इजराइल से जंग के बाद ईरान के आर्मी चीफ जनरल मोसावी उन देशों का आभार जता रहे हैं, जिसने जंग में ईरान की मदद की। इसी कड़ी में मोसावी ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर से फोन पर बात की है। मोसावी ने सहयोग देने के लिए मुनीर का धन्यवाद दिया है।
दिलचस्प बात है कि दोनों देशों के जंग में मुनीर एकमात्र ईरान के पड़ोसी देश के जनरल थे, जिसने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में ट्रंप ने मुनीर को ईरान पर ज्यादा समझदार बताया।
ईरान भले ही पाकिस्तान को अपना मददगार मान रहा हो, लेकिन पाकिस्तान अमेरिका का पुराना गुर्गा है। अमेरिका के इशारों पर पाकिस्तान ने कई देशों में आतंक फैलाने का काम किया है। हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इसे कबूल किया था।
आसिफ के मुताबिक 1990 के दशक में अमेरिका के कहने पर ही पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों को पोषित करने का काम किया। इतना ही नहीं, जब अमेरिका अफगानिस्तान में लड़ने गया, तो पाकिस्तान ने ही उसकी मदद की।
पाकिस्तान की कोई मदद नहीं की
जंग में ईरान ने पाकिस्तान की कोई मदद नहीं की। सिर्फ बयान जारी करने के अलावा। पाकिस्तान ईरान का पड़ोसी मुल्क है और दोनों की सीमा करीब 909 किमी की है। पाकिस्तान ने न तो ईरान के लोगों के लिए अपना बॉर्डर खोला और न ही उन्हें मदद पहुंचाने के लिए कोई बड़ा ऐलान किया।
उलटे जब ईरान ने कतर पर मिसाइल दागा, तो उसकी निंदा कर दी। ईरान की समाचार एजेंसी मैहर न्यूज ने संपादकीय के जरिए पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों पर निशाना साधा है। एजेंसी ने लिखा कि पड़ोसी का पहला कर्तव्य होता है कि जब किसी के घर में आग लगे, तो पानी लेकर जाए पर ईरान के पड़ोसियों ने ऐसा नहीं किया।
मददगार मानना पड़ न जाए भारी
ईरान ने पाकिस्तान को भले फिलहाल मददगार मान लिया है, लेकिन आने वाले वक्त में उसे यह भारी भी पड़ सकता है। इसका ताजा उदाहरण अफगानिस्तान है। अफगानिस्तान एक वक्त में पाकिस्तान का सबसे विश्वसनीय सहयोगी था। कई मौकों पर अफगान लड़ाकों ने पाकिस्तान की मदद की। लेकिन अब पाकिस्तान अफगान की सरकार को ही साइड लाइन करने में जुटा है। उसके बॉर्डर बंद कर दिए हैं। वहीं अफगानिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने का आरोप लगा रहा है।