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31 Jan 2025, Fri

कांग्रेस का भाजपा और PM मोदी पर हमला: ‘मेक इन इंडिया सीधे तौर पर बना फेक इन इंडिया’

नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस पार्टी ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से ‘मेक इन इंडिया’ के शुरुआत के समय बताए गए सभी उद्देश्य ‘जुमले’ साबित हुए हैं और ‘मेक इन इंडिया’ अब ‘फेक इन इंडिया’ बनकर रह गया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि पिछले दशक में आर्थिक नीति निर्माण स्थिर, पूर्वानुमानित और समझदारी से कोसों दूर रहा है।अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा- जब नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने 2014 में अपने हर इवेंट की तरह बड़े धूम-धाम के साथ ‘मेक इन इंडिया’ की घोषणा की थी, तब चार उद्देश्य निर्धारित किए गए थे। 10 साल बाद उनकी वास्तविक स्थिति क्या है, इसे लेकर एक पड़ताल: इसके साथ ही जयराम रमेश ने कुछ आंकड़े भी जारी किए हैं।
उन्होंने अपने आंकड़ों में केंद्र सरकार के दावों को जुमला करार देते हुए उनकी हकीकत भी लिखी है, जो इस प्रकार से हैं…
पहला जुमला : भारतीय उद्योग की विकास दर को बढ़ाकर 12-14% प्रति वर्ष करना
हकीकत : 2014 के बाद से, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर औसतन लगभग 5.2% रही है।
दूसरा जुमला : 2022 तक औद्योगिक क्षेत्र में 100 मिलियन नौकरियां पैदा करना
हकीकत : मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या 2017 में 51.3 मिलियन थी, जो गिरकर 2022-23 में 35.65 मिलियन हो गई।
तीसरा जुमला : 2022 तक और बाद में 2025 तक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की हिस्सेदारी को GDP के 25% तक ले जाएंगे
हकीकत : भारत के सकल मूल्य वर्धन में मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा 2011-12 में 18.1% था। यह गिरकर 2022-23 में 14.3% रह गया है।
चौथा जुमला : मूल्य श्रृंखला में ऊपर उठकर चीन का स्थान लेते हुए भारत को ‘दुनिया की नई फैक्ट्री’ बनाएंगे
हकीकत : चीन का स्थान लेना तो दूर, हम आर्थिक रूप से उसी पर निर्भर हो गए हैं। चीन से आयात का हिस्सा 2014 में 11% था, जो बढ़कर पिछले कुछ वर्षों में 15% हो गया है।
कंपटीशन को दबा दिया गया- जयराम रमेश
आखिरी में कांग्रेस नेता ने लिखा- पिछले दशक में हमारे देश का आर्थिक नीति निर्माण स्थिर, पूर्वानुमान एवं समझदारी से भरा (उदाहरण के लिए, नोटबंदी को याद कीजिए) नहीं रहा है। डर और अनिश्चितता के माहौल के कारण निजी निवेश में वृद्धि बाधित हुई है। कंपटीशन को दबा दिया गया है क्योंकि मोदी जी के करीबी एक या दो बड़े बिजनेस ग्रुप्स को समर्थन प्राप्त है और उन्हें ही समृद्ध किया गया है। मेक इन इंडिया सीधे तौर पर फेक इन इंडिया बन गया है।

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