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9 Aug 2025, Sat

जस्टिस प्रशांत कुमार वाला ही नहीं, पॉक्सो के इस मामले में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर इस 6 अगस्त को चिंता व्यक्त की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट का वो आदेश पॉक्सो से संबंधित था। सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि हाईकोर्ट ने अपना आदेश देते हुए कानूनी सिद्धांतों की परवाह नहीं की। इलाहाबाद हाईकोर्ट में ये मामला आसिफ पाशा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के नाम से सुना जा रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा कि ये इलाहाबाद हाईकोर्ट का एक और ऐसा फैसला था जिस पर सर्वोच्च अदालत को नाराज होना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट में ये टिप्पणी वरिष्ठ जज जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर। महादेवन की पीठ ने किया था। इसी पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज प्रशांत कुमार को आपराधिक मुकदमा सुनने से मना कर दिया था। जिसका इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों ने विरोध किया। और फिर आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश बीआर गवई के हस्तक्षेप के बाद जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस महादेवन को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट क्यों विवादों में
जहां तक पॉक्सो वाले मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता की बात है, तो यहां अदालत आसिफ उर्फ पाशा की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आसिफ को पॉक्सो कानून के तहत मेरठ की विशेष अदालत ने 4 साल की सजा सुनाई थी। आसिफ ने इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दिया था। इलहाबाद हाईकोर्ट में उसकी याचिका अब भी लंबित है। पर अदालत ने उसकी सजा को निरस्त करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि चूंकि ये मामला निर्धारित सजा वाला था और ऐसा मामला था नहीं जहां उम्रकैद जैसी सजा हो तो फिर अदालत को उसकी सजा को रद्द करने जैसे याचिका पर गौर करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के रुख और उनके तरीके की आलोचना की थी। ये अपने आप में दिलचस्प है कि लगातार एक के बाद एक नए मामले या जज इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुड़े हुए विवादित हुए जा रहे हैं।

By Aryavartkranti Bureau

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