इस्लामाबाद, एजेंसी। जिस तरह पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था और चिनाब नदी का पानी रोकने का ऐलान किया था, अब तालिबान भी ठीक वैसा ही कदम उठाने जा रहा है। अफगानिस्तान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने आदेश दिया है कि कुनार नदी पर बांध निर्माण तुरंत शुरू किया जाए।
कुनार पर बांध बनाने की घोषणा ऐसे समय में आई है जब तालिबान और पाकिस्तान के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं। ऊर्जा मंत्री अब्दुल लतीफ मंसूर ने बताया कि तालिबान प्रमुख ने मंत्रालय को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि विदेशी कंपनियों का इंतजार न किया जाए, बल्कि घरेलू कंपनियों के साथ अनुबंध कर तुरंत काम शुरू किया जाए।
कुनार नदी: अफगानिस्तान की जीवनरेखा
कुनार नदी अफगानिस्तान की पांच प्रमुख नदियों में से एक है। यह चितरल से निकलती है और करीब 482 किलोमीटर बहने के बाद काबुल नदी में मिलती है, जो आगे जाकर पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
काबुल नदी का अधिकांश पानी पाकिस्तान की ओर जाता है, जिससे खैबर पख्तूनख्वा जैसे कई पाकिस्तानी इलाके अफगान पानी पर निर्भर हैं। अफगानिस्तान के पास भरपूर जल संसाधन हैं, लेकिन दशकों के युद्ध और अस्थिरता ने उनके उपयोग को बाधित किया है।
बढ़ता तनाव: पाकिस्तान को है पानी का डर
दोनों देशों के बीच पानी को लेकर कोई औपचारिक समझौता नहीं है, और सब कुछ परंपरा पर आधारित है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस्लामाबाद चितरल नदी का बहाव मोड़कर स्वात नदी की ओर ले जाने की योजना बना रहा है, ताकि अफगानिस्तान तक पानी पहुंचने से पहले उसे रोक सके।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान चितरल का पानी कुनार और काबुल नदी से मिलने से पहले ही मोड़ने की तैयारी में है। पिछले साल जब तालिबान ने कुनार में बांध निर्माण की योजना जाहिर की थी, तब पाकिस्तान के पूर्व अधिकारी जान अचकज़ई ने इसे शत्रुतापूर्ण कदम बताया था।
तालिबान का दावा: अब हम अपने पानी के मालिक हैं
अब्दुल लतीफ मंसूर ने कहा कि कुछ पड़ोसी देश इसलिए परेशान हैं क्योंकि अब अफगानिस्तान अपने पानी का मालिक बन गया है। उन्होंने यह भी बताया कि कुनार नदी से बिजली उत्पादन की क्षमता पूरे देश में सबसे अधिक है, इसलिए वहां बांध बनाना राष्ट्रीय प्राथमिकता है।उन्होंने साफ कहा कि अफगानिस्तान का किसी भी पड़ोसी देश से पानी को लेकर कोई समझौता नहीं है, केवल ईरान के साथ है और तालिबान उस समझौते का पालन कर रहा है।
मगर बांध बनाना क्या इतना आसान है?
हालांकि, मंसूर ने स्वीकार किया कि फंडिंग की कमी सबसे बड़ी चुनौती है। चीन की गुसान एनर्जी कंपनी ने कुनार में तीन बांध परियोजनाओं में निवेश की इच्छा जताई है। मंसूर का दावा है कि इन परियोजनाओं के पूरा होने पर अफगानिस्तान न सिर्फ आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि बिजली पड़ोसी देशों को निर्यात भी कर सकेगा।

