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31 May 2025, Sat

वित्तीय फैसलों पर पत्नी से खुलकर करें बात, लक्ष्यों को दें प्राथमिकता

शादी एक निवेश की तरह है। यह एक लंबे समय तक चलने वाला और एक गंभीर मसला है। किसी भी निवेश की तरह, शादी में भी कुछ उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन अंततः आप एक-दूसरे से एक बंधन में बंधे होते हैं। मैंने ऐसे कई परिवारों को देखा है जो एक साथ खूब मौज-मस्ती करते हैं। खूब यात्रा करते हैं, लेकिन पैसे खर्च करने पर एक-दूसरे से बहुत कम बात करते हैं। एक दंपती होकर भी अगर पैसे के बारे में खुलकर बात नहीं करते तो आगे चलकर यह बड़े मनमुटाव का कारण बन सकता है।
हाल के दिनों में मेरे मित्र अजय के कुछ वित्तीय फैसले उनकी पत्नी आरती को अच्छे नहीं लगे। बेफिक्र होकर ज्यादा खर्च करने के उनके तरीकों ने मुझे भी परेशान किया, लेकिन मुझे पता था कि दोस्ती में अपनी सीमाएं होती हैं। मैंने आरती से सहजता से बात की तो उन्होंने बताया कि कैसे अजय बड़े वित्तीय फैसलों पर ठीक से ध्यान नहीं दे रहे थे। उनकी 20 साल की बेटी की कुछ वर्षों में शादी हो जाएगी और बेटा दो साल बाद कॉलेज में चला जाएगा। रिटायरमेंट के बारे में भी कोई प्लानिंग नहीं है, जिसके बारे में वह चिंतित रहती थीं। अजय वित्तीय लक्ष्यों को प्राथमिकता दिए बिना अपना जीवन बड़ी बेफिक्री से जी रहा था। अजय सिर्फ दिमागी गुणा गणित में विश्वास करते थे, जिसका मतलब था कि वह अक्सर मानते थे कि उनके पास वास्तव में जितना पैसा था, उससे कहीं अधिक पैसा है।
पैसा खर्च करने पर चर्चा को रहें तैयार
सभी पति-पत्नी को मेरा सुझाव है कि उन्हें पैसे खर्च करने पर चर्चा करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपका जीवनसाथी मानता है कि आप आर्थिक रूप से मजबूत हैं और वह नौकरी छोड़ने का फैसला करता है, तो क्या आप वाकई इसके लिए तैयार हैं? या यदि आप कल अपना खुद का बिजनेस करने में हाथ आजमाने का निर्णय लेते हैं तो दोनों की मिली जुली राशि आपको इसकी अनुमति देती है?
सूची बनाकर कर सकते हैं अच्छी शुरुआत
स्वस्थ वित्तीय संबंध की अच्छी शुरुआत एक वित्तीय सूची बनाकर सकते हैं। मसलन, आपके पास क्या है, आप पर क्या बकाया है, कार्यस्थल पर आपको क्या लाभ मिलता है, आपके वित्तीय लक्ष्य और भविष्य की उम्मीदें क्या हैं आदि। इस बारे में सोचें कि आप साथ मिलकर क्या हासिल करना चाहते हैं। साझा जीवन में आगे बढ़ने पर आपको कैसे एडजस्ट करना होगा।
मनी मैटर में जब जीवनसाथी सहयोगी न हो
लेकिन, क्या होगा अगर आपका जीवन साथी इन मनी मैटर में सहयोग नहीं करता है? पति-पत्नी के रूप में आपके वित्तीय लक्ष्य समान होने चाहिए और इस पर मिलजुल कर फैसले लेने की जरूरत होती है। पैसे के बारे में एक-दूसरे से खुलकर बात करें। क्या आ रहा है और क्या जा रहा है। यहां तक कि ठीक से शादियां करने में भी कितना होम वर्क करना पड़ता है। खुले माहौल में बातचीत के साथ, एक रोडमैप बनाएं जो हर पार्टनर के लक्ष्यों और उनके पर्सनल हिस्ट्री पर भी विचार करे। जीवन की परिस्थितियों के कारण पैसे को लेकर हमारी प्रतिक्रिया अलग-अलग होती है। लेकिन, एक टीम के रूप में एक साथ काम करने का कमिटमेंट, सफलता का मार्ग तो प्रशस्त ही करता है, साथ थी मन की शांति भी सुनिश्चित हो जाती है।
तुम्हारा, मेरा व हमारा बजट भी अच्छी आदत
‘तुम्हारा, मेरा व हमारा’ बजट बनाना भी अच्छी आदत है। यदि आप दोनों नौकरीपेशा हैं, तो आपको यह तय करने में मदद मिलेगी कि कौन कितना खर्च करेगा। यदि आपका साथी कमा नहीं रहा है, तो यह और भी महत्वपूर्ण है कि आप उनके साथ बिना कुछ छुपाये आमदनी साझा करें ताकि उन्हें पता चल सके कि आप वित्तीय रूप से कहां खड़े हैं। इससे उन्हें वास्तविक स्थिति जानने और अपनी वित्तीय अपेक्षाओं को समायोजित करने में मदद मिलेगी। अपने जीवनसाथी को इसमें शामिल कर परिवार के सभी वित्तीय निर्णयों के लिए पूरी तरह जिम्मेदार मानेंगे और ऐसा करने से खुद को भी राहत महसूस होगी।

By Prabhat Pandey

प्रभात पांडेय आर्यावर्तक्रांति दैनिक हिंदी समाचार और दिशा एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक हैं। निष्पक्ष पत्रकारिता, सामाजिक सेवा, शिक्षा और कल्याण के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने वाले प्रभात पांडेय प्रेरणा और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।