मुंबई, एजेंसी। हिंदी भाषा विवाद पर भले राज्य सरकार ने पूर्व के दोनों आदेश रद्द कर दिए हैं, लेकिन ठाकरे बंधु इस मुद्दे को हाथ से जाने देना नहीं चाहते। राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि एक नई समिति बनाई जाएगी जो हिंदी भाषा को प्राथमिक स्कूलों में कक्षा पहली से पांचवी तक तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाना है या नहीं इसपर निर्णय लेगी।
राज्य सरकार के इस फैसले को दोनों ठाकरे भाई अपनी लड़ाई की जीत बता रहे हैं। दोनों का कहना है कि महाराष्ट्र का मराठी मानुष साथ आया ये देख सरकार डर गई। ये मराठी मानुष की जीत है। इसका विजय दिवस जुलूस मनाया जाएगा।
अंदरूनी सूत्रों से जानकारी मिली है कि 5 जुलाई को दोनों ठाकरे भाई एक साथ एक मंच पर कई वर्षों के बाद आएंगे। पहले इस विजय दिवस के लिए शिवाजी पार्क और गिरगांव चौपाटी पर विचार चल रहा था, लेकिन आपसी सहमति से वर्ली डोम संभागृह को फाइनल किए जाने की खबर है। वहीं, दोनों ठाकरे बंधुओं के नेताओ की गुप्त बैठकें तेज हो गई है। रणनीति पर मंथन हो रहा है।
5 जुलाई को होने वाले इस विजय दिवस को लेकर ठाकरे गुट और मनसे के वरिष्ठ नेताओं के बीच लगातार बैठकें हो रही हैं। जानकारी के अनुसार, शिवसेना की ओर से संजय राऊत, अनिल देसाई, अनिल परब और मनसे की ओर से बाला नांदगावकर और अभिजीत पानसे के बीच हाल ही में करीब 40 मिनट तक अहम बैठक हुई।
मराठी अस्मिता का होगा उत्सव
इस बैठक में विजयी मेलावा की संपूर्ण रूपरेखा, आयोजन स्थल, भीड़ प्रबंधन और भाषणों की रणनीति पर चर्चा हुई। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि यह केवल मराठी अस्मिता और सरकार के निर्णय वापसी का उत्सव होगा — इसमें कोई राजनीतिक झंडा या एजेंडा नहीं होगा। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, वरली डोम को आयोजन स्थल के रूप में चुना गया है। दोनों दलों में इसे लेकर सहमति बन चुकी है। आयोजकों का कहना है कि यह पूरी तरह से मराठी भाषा और संस्कृति की विजय के रूप में मनाया जाएगा।
बीजेपी ने ठाकरे-राज पर साधा निशाना
बीजेपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, उद्धव ठाकरे आज राज ठाकरे को भाईचारे के नाते वापस आने की अपील कर रहे हैं। लेकिन मुझे याद है, यही उद्धव ठाकरे थे जिन्होंने राज ठाकरे को अपमानित किया, तंग किया और पार्टी से बाहर जाने के लिए मजबूर किया। क्या उन्हें यह सब याद नहीं है? अब वे क्यों इतनी मिन्नतें कर रहे हैं?
राज ठाकरे, नारायण राणे, गणेश नाईक और एकनाथ शिंदे जैसे नेताओं ने शिवसेना को खड़ा करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया, लेकिन इन्हीं लोगों को उद्धव ने बाहर का रास्ता दिखाया। जिस शिवसेना को माननीय बालासाहेब ठाकरे ने सत्ता तक पहुंचाया, उसी सत्ता को उद्धव ठाकरे ने गंवा दिया। शिवसेना की इस गिरावट के लिए पूरी तरह से उद्धव ठाकरे जिम्मेदार हैं। उन्होंने आगे कहा, मराठी जनता और हिंदू समाज ने इन्हें घर बिठा दिया है। जो चीज एक बार हाथ से निकल जाती है, वो फिर से वापस नहीं आती जो बूंद से गई, वो हौद से नहीं आती! उद्धव ठाकरे में न तो वह हिम्मत है और न ही वह क्षमता कि वो फिर से सब कुछ हासिल कर सकें।
ठाकरे बंधु साथ मनाएंगे विजय दिवस, नारायण राणे ने कहा- क्या राज को याद नहीं उद्धव का किया अपमान?
