भारत और न्यूजीलैंड के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर बातचीत लगभग पूरी होने की घोषणा ने भारत की ट्रेड डिप्लोमेसी में एक अहम मोड़ ला दिया है। कई सालों तक सावधानी भरी रणनीति, RCEP से बाहर निकलने और नए सिरे से FTA प्लान तैयार करने के बाद, यह समझौता सिर्फ व्यापार की मात्रा से ज्यादा रणनीतिक सोच को दर्शाता है।
भारत और न्यूजीलैंड का आपसी व्यापार बड़ा नहीं है, लेकिन इसका संकेत बहुत बड़ा है। भारत अब उन हाई-स्टैंडर्ड, पारदर्शी और नियम-आधारित अर्थव्यवस्थाओं के साथ फिर से जुड़ रहा है, जिनसे उसने पहले दूरी बना रखी थी।
भारत की नई दिशा: डायवर्सिफिकेशन की रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि न्यूजीलैंड के साथ FTA भारत के लिए एक स्मार्ट कदम है। उनका कहना है कि यह समझौता भारत को अमेरिका और चीन जैसे बड़े बाजारों पर निर्भरता कम करने में मदद करेगा और इंडो-पैसिफिक में एक भरोसेमंद पार्टनर देगा। भारत का निर्यात कुछ सीमित क्षेत्रों में केंद्रित रहा है। ऐसे में न्यूजीलैंड जैसे स्थिर और उच्च-मूल्य वाले बाजार भारत के निर्यात पोर्टफोलियो में बैलेंस और मजबूती जोड़ते हैं। यह बाजार भले छोटा हो, पर भारत के एक्सपोर्ट बेस को ज्यादा सुरक्षित बनाता है।
क्यों है यह FTA टाइमिंग के लिहाज से खास?
अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने के बाद भारत का ट्रेड डेफिसिट अब रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। टेक्सटाइल, लेदर और जेम्स जैसे सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हैं। ऐसे समय में भारत एक्सपोर्टर्स को सपोर्ट कर रहा है, रुपए को स्थिर रखने की कोशिश कर रहा है और अमेरिका के साथ नई ट्रेड डील पर काम कर रहा है। इसी बीच न्यूज़ीलैंड जैसा भरोसेमंद ट्रेड पार्टनर डायवर्सिफिकेशन को मजबूती देता है और भारत के लिए एक स्थिर रास्ता बनाता है।
FTA के बिना भी तेजी से बढ़ रहा व्यापार
दिलचस्प बात यह है कि FTA के बिना भी दोनों देशों के बीच व्यापार तेजी से बढ़ा है। पिछले साल इसमें 49% का उछाल आया। भारत न्यूजीलैंड को दवाइयां, टेक्सटाइल, मशीनरी, पेट्रोलियम और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी चीजें बेचता है, जबकि न्यूज़ीलैंड से भारत में मुख्य रूप से कृषि उत्पाद और मिनरल आते हैं।
सर्विस सेक्टर में न्यूजीलैंड भारत को शिक्षा, टूरिज्म और एविएशन ट्रेनिंग जैसी सर्विसेज़ देता है, जबकि भारत IT, हेल्थकेयर और फाइनेंशियल सर्विसेज में मजबूत है।
सबसे बड़ा रोड़ा: डेयरी सेक्टर
भारत और न्यूजीलैंड की हर ट्रेड बातचीत में एक मुद्दा सबसे बड़ा रहता है, डेयरी का। भारत में डेयरी 70 मिलियन छोटे किसानों की आजीविका है, जबकि न्यूजीलैंड की पहचान पूरी दुनिया में डेयरी एक्सपोर्ट के लिए होती है। इसलिए भारत इस सेक्टर को खुला करने में हिचकिचाता है। इसके अलावा न्यूजीलैंड की डेयरी टेक्नोलॉजी भारत के लिए एक बड़ा अवसर हो सकती है।
शिक्षा और स्किल – FTA का सबसे बड़ा फायदा
अगर कोई क्षेत्र है जहां यह FTA असल बदलाव ला सकता है, तो वह है शिक्षा और कौशल विकास। न्यूजीलैंड भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ा शिक्षा केंद्र है। आसान वीजा प्रोसेस, स्किल ट्रेनिंग और पढ़ाई के बाद काम के अवसर भारत-न्यूजीलैंड के रिश्ते को और मजबूत बना सकते हैं। यह भारत के हेल्थकेयर, टेक और एविएशन सेक्टर में स्किल गैप को पूरा करने में भी मदद करेगा।
छोटा देश, लेकिन बड़ा पोटेंशियल
न्यूजीलैंड भारत के लिए UAE या वियतनाम जैसा बड़े वॉल्यूम वाला बाजार नहीं है, लेकिन यह फार्मा, इंजीनियरिंग और IT जैसी हाई-वैल्यू इंडस्ट्रीज़ के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह FTA भारत के लिए इस बात का संकेत है कि वह अब हाई-स्टैंडर्ड FTAs की ओर लौट रहा है और इंडो-पैसिफिक में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रहा है।

