लेटेस्ट न्यूज़
20 Dec 2025, Sat

ट्रंप ने लिया अब ग्रीन कार्ड लॉटरी सिस्टम पर एक्शन, भारत पर कितना होगा असर

वॉशिंगटन, एजेंसी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब डाइवर्सिटी इमिग्रेंट वीजा (DV) प्रोग्राम, जिसे आमतौर पर ग्रीन कार्ड लॉटरी कहा जाता है पर एक्शन लिया है। ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को डाइवर्सिटी इमिग्रेंट वीजा कार्यक्रम पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया है। ट्रंप ने यह फैसला हाल ही में ब्राउन यूनिवर्सिटी और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में हुई गोलीबारी की घटनाओं के बाद लिया है। इन गोलीबारी में 3 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए।
यह रोक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश के बाद लगाई गई है। यह निर्णय तब लिया गया जब यह खुलासा हुआ कि कथित हमलावर क्लाउडियो नेव्स वालेंटे, जो पुर्तगाल का नागरिक है, डाइवर्सिटी वीजा योजना के तहत अमेरिका में दाखिल हुआ था। इसी के बाद अब यह एक्शन लिया गया है। इससे पहले यात्रा प्रतिबंधों, वीजा जांच प्रक्रियाओं और H-1B, H-4, F, M और J कैटेगरी पर कड़ी निगरानी पहले ही लागू किए जा चुके हैं।
डीवी पर रोक लगाने की वजह ब्राउन यूनिवर्सिटी में हुई गोलीबारी की घटना है, जिसके लिए 48 साल के पुर्तगाली नागरिक क्लाउडियो मैनुएल नेव्स वालेंटे को संदिग्ध के रूप में पहचाना गया है। अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने डीवी पर रोक लगाने की जानकारी सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर शेयर की। अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की सचिव क्रिस्टी नोएम ने पोस्ट में लिखा कि वालेंटे 2017 में डाइवर्सिटी लॉटरी इमिग्रेंट वीजा प्रोग्राम (DV1) के तहत अमेरिका में दाखिल हुआ था और उसे ग्रीन कार्ड दिया गया था।
उन्होंने आगे कहा: इस व्यक्ति को कभी भी हमारे देश में आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी। 2017 में राष्ट्रपति ट्रंप ने इस कार्यक्रम को समाप्त करने के लिए संघर्ष किया था। राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देश पर, मैं तुरंत USCIS को DV1 कार्यक्रम पर रोक लगाने का आदेश दे रही हूं, ताकि इस विनाशकारी कार्यक्रम की वजह से किसी और अमेरिकी को नुकसान न पहुंचे।
नेव्स वालेंटे पर ब्राउन यूनिवर्सिटी में दो छात्रों और MIT के एक प्रोफेसर की हत्या का संदेह है, जबकि 9 अन्य लोग इस हमले में घायल हुए हैं। नोएम ने पहले की सुरक्षा घटनाओं का भी हवाला दिया और दोहराया कि 2017 में न्यूयॉर्क सिटी में हुआ ट्रक हमला एक ISIS समर्थक की ओर से किया गया था, जो इसी कार्यक्रम के तहत अमेरिका में दाखिल हुआ था।
क्या होता है डाइवर्सिटी इमिग्रेंट वीजा?
डाइवर्सिटी इमिग्रेंट वीजा को ग्रीन कार्ड लॉटरी कार्यक्रम भी कहा जाता है। हर साल लॉटरी सिस्टम के जरिये परमानेंट रेजिडेंसी के लिए अधिकतम 50,000 परमिट दिए जाते हैं। यह वीजा उन देशों के लिए बनाया है जिन देशों से कम कम संख्या में आवेदक अमेरिका जाते हैं। अलग-अलग देशों के आवेदकों की अमेरिका में संख्या बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है। खास तौर पर अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों से।
साथ ही यह कार्यक्रम उन देशों के नागरिकों को बाहर रखता है जिन्होंने पिछले 5 वित्तीय वर्षों में अमेरिका को 50,000 से अधिक प्रवासी भेजे हों। इस नियम के तहत भारत, चीन, मैक्सिको और फिलीपींस जैसे देश बाहर हो जाते हैं। इस कार्यक्रम का संचालन अमेरिकी विदेश विभाग करता है। एपी (AP) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की लॉटरी के लिए लगभग 2 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था और जीवनसाथियों सहित 1,31,000 से अधिक व्यक्तियों का चयन किया गया। इनमें से 38 स्लॉट पुर्तगाल के नागरिकों को मिले।
इससे पहले भी राष्ट्रपति ट्रंप डाइवर्सिटी वीज़ा (DV) की बार-बार आलोचना करते रहे हैं। खासकर 2017 में न्यूयॉर्क में हुए ट्रक हमले के बाद। इससे पहले वो इस कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करने की मांग कर चुके थे और इसे असुरक्षित बताते रहे हैं।
भारत पर क्या असर होगा?
भारत पर इस रोक का कोई असर नहीं पड़ेगा। विविधता बनाए रखने के लिए यह कार्यक्रम उन देशों के नागरिकों को बाहर करता है, जिन्होंने पिछले 5 वित्तीय वर्षों में अमेरिका को 50,000 से अधिक प्रवासी भेजे हों। इस नियम के तहत भारत, चीन, मैक्सिको और फिलीपींस जैसे देश डाइवर्सिटी वीजा के लिए अयोग्य हो जाते हैं। भारत विशेष रूप से पात्रता की सीमा से काफी ऊपर बना हुआ है। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 93,450 भारतीय अमेरिका गए थे, जो 2022 में बढ़कर 1,27,010 हो गए। हालांकि, 2023 में भारत से आव्रजन घटकर 78,070 रह गया, फिर भी यह संख्या इतनी ज्यादा है कि कम से कम 2028 तक भारत को लॉटरी सिस्टम से बाहर रखती है।

2025 की लॉटरी के लिए करीब 2 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, जिनमें परिवार के सदस्यों सहित 1। 31 लाख से अधिक आवेदकों का अंततः चयन किया गया। इन आंकड़ों की वजह से भारत, चीन, मैक्सिको, पाकिस्तान, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, कनाडा, ब्राजील, वियतनाम जैसे देशों के साथ DV-2026 जैसी डाइवर्सिटी वीजा लॉटरी से बाहर है। चूंकि भारत पहले से ही 2028 तक प्रतिबंधित है, इसलिए मौजूदा निलंबन से भारतीय आवेदकों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आता।

भारत पर नहीं होगा सीधा असर
हालांकि, DV पर रोक का भारत पर सीधा असर नहीं है, लेकिन ट्रंप प्रशासन के अन्य सख्त कदम — खासकर H-1B और H-4 आवेदकों पर बढ़ी हुई जांच और प्रतिबंध — भारतीय प्रवासियों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकते हैं। डाइवर्सिटी वीज़ा उपलब्ध न होने और अन्य रास्तों के संकुचित होने के चलते, भारतीय नागरिकों को अब भी पारंपरिक आव्रजन मार्गों पर निर्भर रहना होगा — जैसे H-1B से ग्रीन कार्ड में बदलाव, निवेश-आधारित विकल्प, शरण (asylum) मार्ग या पारिवारिक प्रायोजन।

By Aryavartkranti Bureau

आर्यावर्तक्रांति दैनिक हिंदी समाचार निष्पक्ष पत्रकारिता, सामाजिक सेवा, शिक्षा और कल्याण के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने की प्रेरणा और सकारात्मकता का प्रतीक हैं।