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31 Jul 2025, Thu

शेरवुड कॉलेज के छात्रों से बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, समाज-मानवता और राष्ट्र के लिए रखें लक्ष्य

नई दिल्ली। भारत के उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ शुक्रवार को उत्तराखंड के नैनीताल के शेरवुड कॉलेज की 156वीं स्थापना दिवस में शामिल हुए। इस मौके पर समारोह में उपराष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, अपने लक्ष्य को संकीर्ण मत बनाइए। आत्मकेंद्रित मत बनाइए। समाज, मानवता और राष्ट्र के लिए लक्ष्य रखिए। अगर आप इतिहास में झांकें, हजार वर्षों में हम किन्हें याद करते हैं? सिर्फ उन्हें, जिन्होंने समाज के लिए काम किया, समाज के लिए जिया और अपना जीवन समाज को समर्पित किया।
नैनीताल के शेरवुड कॉलेज की 156वीं स्थापना दिवस पर स्टूडेंट्स और शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, आपको यह भावना आत्मसात करनी होगी — राष्ट्र सर्वोपरि हैं। हमें बिना शर्त, पूर्ण राष्ट्रवाद को स्वीकार करना होगा, क्योंकि भारत, जो एक अनूठा राष्ट्र है और जिसकी 5000 वर्षों की सांस्कृतिक विरासत है, यही उसकी न्यूनतम अपेक्षा है।
“शिक्षा ईश्वर का वरदान है”
उन्होंने कहा, बेहतर शिक्षा, उसकी पहुंच किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए मूलभूत हैं। शिक्षा ईश्वर का वरदान है। अगर आपको बेहतर एजुकेशन मिलती है, तो आप भाग्यशाली हैं। अगर आपको इस तरह की शिक्षा 1।4 अरब की जनसंख्या वाले देश में मिलती है, तो आपको सच में विशेषाधिकार प्राप्त हैं। समानता चाहे कानून में हो या अन्यथा, उसे सबसे बेहतर तरीके से सिर्फ शिक्षा के जरिए ही हासिल किया जा सकता है। शिक्षा असमानता, अन्याय पर प्रहार करती है और यही आप जीवन भर करने वाले हैं।
पेरेंट्स से की अपील , बच्चों पर न डाले दबाव
पेरेंट्स से अपील करते हुए धनखड़ ने कहा, पेरेंट्स बनना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। जो आपकी सिर्फ आपकी बच्चों के प्रति ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के प्रति है। इसलिए कृपया अपने बच्चों पर दबाव न डालें। यह मत तय करें कि उनके जीवन का मकसद क्या होगा, वो भविष्य में क्या बनेंगे। अगर आप यह तय करेंगे, तो वे सब सिर्फ पैसे या सत्ता के पीछे दौड़ेंगे। फिर वैज्ञानिक कहां से आएंगे? खगोलशास्त्री कहां से आएंगे? वे लोग कहां से आएंगे जो पूरे विश्व की दिशा तय करते हैं?
वैश्विक स्तर पर भारत बढ़ रहा आगे
युवाओं को परिवर्तन के प्रेरक के रूप में कार्य करने का आह्वान करते हुए धनखड़ ने कहा, दुनिया भारत की ओर सिर्फ उसके उत्थान के कारण नहीं, केवल उसके वैज्ञानिक विकास के कारण नहीं, केवल अधोसंरचना विकास के कारण नहीं देख रही है, वो भारत की ओर देख रही है क्योंकि हमारे पास एक अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश है। हमारे युवाओं की औसत आयु 28 वर्ष है।
हम चीन और अमेरिका से 10 वर्ष छोटे हैं और जब हम जनसंख्या की संरचना को देखते हैं, तो 65% लोग 35 वर्ष से कम उम्र के हैं। दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। हमें परिवर्तन से पीछे नहीं रहना है, हमें वही परिवर्तन लाना है जिसकी जरूरत है, वही बदलाव गढ़ना है जो हम चाहते हैं और भारत वो बदलाव चाहता है जो संपूर्ण पृथ्वी के लिए कल्याणकारी हो। इसलिए हमने G-20 में विश्व को एक सूत्र दिया — एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य।
उन्होंने कहा, भारत दुनिया में सबसे अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं वाला देश है, हमारी डिजिटल पहुंच और कनेक्टिविटी पूरी दुनिया में अद्वितीय है। आपने कई बार सुना होगा — आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन, मशीन लर्निंग जैसे शब्द ये अब आपके स्कूल, ऑफिस और घर तक पहुंच चुके हैं। आपको बदलना होगा, अनुकूल होना होगा ताकि आप भारत के योग्य नागरिक बनें — उस भारत के, जो संपूर्ण मानवता का छठा भाग है।

By Aryavartkranti Bureau

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