नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद कई लोगों ने सवाल उठाया कि मई में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई सिर्फ चार दिनों तक ही क्यों चली। आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को लंबे समय से उठ रहे इन सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा, हममें से ज्यादातर यही कह रहे थे कि यह चार दिनों के टेस्ट मैच की तरह ही क्यों समाप्त हो गया?
एआईएमए के 52वें नेशनल मैनेजमेंट कन्वेंशन में मंगलवार को बोलते हुए थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि सशस्त्र बल इस बात को लेकर निश्चित नहीं थे कि यह संघर्ष कितने दिनों तक चलेगा। हममें से ज्यादातर कह रहे थे कि यह चार दिनों की टेस्ट मैच की तरह ही क्यों समाप्त हो गया।
प्रोटेक्शन एक अहम पहलू
थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, प्रोटेक्शन एक नया पहलू है, क्योंकि आपको दुश्मन की लगातार हो रही मार झेलने में सक्षम होना चाहिए और उसके बाद बाहर निकलकर जरूरी कार्रवाई कर सकें। इसलिए ये तीनों पहलू बल की योजना, सुरक्षा और उपयोग वही मुख्य बिंदु हैं जिन पर हमें काम करना है। उन्होंनेआगे कहा, टारगेट लगातार बदलते रहेंगे। अगर मैं किसी हथियार को 100 किलोमीटर तक मार करने लायक बनाना चाहता हूँ, तो कल उसे 300 किलोमीटर तक ले जाना होगा। उन्होंने आगे कहा, यह सिर्फ मेरा मामला नहीं है, सामने वाला भी अपनी तकनीक को बेहतर बना रहा है। जैसे‑जैसे उसकी तकनीक बढ़ रही है, मुझे यह सुनिश्चित करना होगा कि मेरी तकनीकी क्षमता भी उसके प्रभाव को मात देने के लिए तैयार हो। ऐसे में आत्मनिर्भरता बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
ऑपरेशन सिंदूर
भारत ने 7 मई की सुबह ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, जिसके तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने 22 अप्रैल को हुए घातक पहलगाम हमले के जवाब में पाकिस्तान में कई आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया था। पाकिस्तानी बलों ने जवाबी हमले किए और भारतीय बलों ने भी ऑपरेशन सिंदूर के तहत पलटवार किया, जिसके चलते यह संघर्ष लगभग चार दिनों तक चला।दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद 10 मई की शाम को सैन्य कार्रवाई रोक दी गई।
लंबे युद्ध लड़ने के लिए जरूरी तीन पहलू
आर्मी चीफ ने आगे समझाया कि युद्ध को लंबे समय तक जारी रखने के लिए किन बातों की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि इसके तीन पहलू हैं फोर्स विज़ुअलाइज़ेशन, फोर्स प्रोटेक्शन (बल की सुरक्षा), और फोर्स एप्लिकेशन (बल का प्रभावी उपयोग)। थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, जब रूस युद्ध में उतरा था, तब हम हमेशा यही सोचते थे कि यह युद्ध सिर्फ 10 दिनों तक चलेगा। वहीं, जब हमने ईरान‑इराक युद्ध को देखा, तो वह करीब 10 सालों तक चला। लेकिन, ऑपरेशन सिंदूर के समय हमें यह भी नहीं पता था कि यह कितने दिनों तक चलेगा और हममें से ज्यादातर यही कह रहे थे कि यह चार दिनों के टेस्ट मैच की तरह ही क्यों समाप्त हो गया? युद्ध हमेशा अनिश्चित होता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध का किया जिक्र
रूस‑यूक्रेन युद्ध में जो फोर्स विज़ुअलाइज़ेशन (बल की योजना/आकलन) किया गया था, उसमें शायद कुछ गलत गणना हुई थी। हमें यह समझना होगा कि सामने वाले के पास कौन‑सी तकनीक उपलब्ध है जिससे वह युद्ध को लंबे समय तक जारी रख सके। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे पास लंबा युद्ध लड़ने के लिए पर्याप्त संसाधन और तैयारी हो। उन्होंने आगे आधुनिक युद्ध में डेविड और गोलियथ सिस्टम का जिक्र किया। जिसका मतलब, कम लागत में उच्च तकनीक होता है। उन्होंने कहा, इन सभी युद्धों में हमने देखा है कि डेविड और गोलियथ जैसे हालात में सबसे बड़ा प्रभाव कम लागत वाली लेकिन उन्नत तकनीक का होता है। अगर आपके पास कम लागत में उच्च तकनीक उपलब्ध है तो आप अपने से बड़े और ताकतवर विरोधी को भी मात दे सकते हैं।