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12 Jul 2025, Sat

जस्टिस वर्मा को हटाने की कवायद, आमराय बनाने की कोशिश, केंद्र ने की सभी दलों से बात

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश रहते जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से भारी मात्रा में जले हुए नोट मिलने के मामले में सरकार बड़ा फैसला लेने पर विचार कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जस्टिस वर्मा को पद से हटाए जाने को लेकर सरकार की सभी दलों से बात हुई। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की इंटरनल कमेटी ने भी अपनी जांच में पाया कि उन्हें हटाने की सिफारिश की जाए।
जस्टिस वर्मा को लेकर सरकार आम सहमति बनाने की कोशिश में लगी है। सूत्र बताते हैं कि सरकार ने सभी दलों से इसलिए बात की है ताकि हटाए जाने को लेकर आम राय बन सके। बात करने के बाद जल्द ही हटाए जाने को लेकर प्रस्ताव लाया जा सकता है। सभी दलों से बात करके सांसदों के हस्ताक्षर लिए जाएंगे। हालांकि अभी तय नहीं हो सका है कि इनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लोकसभा में लाना है या फिर राज्यसभा में।
संसद में लाया जा सकता है महाभियोग प्रस्ताव
बताया जा रहा है कि इस प्रक्रिया के लिए चेयर एक समिति का गठन करेगी। उसकी रिपोर्ट के आधार पर सदन में चर्चा और आगे की कार्रवाई होगी। फिलहाल तीन महीने के समय का प्रावधान है। पिछले महीने भी यह चर्चा थी कि संसद के आगामी सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।
इससे पहले जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास से जले नोटों की कथित बरामदगी को लेकर जांच करने वाली समिति ने 19 जून को अपनी 64 पेजों वाली रिपोर्ट में कहा कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के लोगों का उस स्टोर रूम पर गुप्त या सक्रिय नियंत्रण था, जहां से भारी मात्रा में अधजली नकदी मिली थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस बरामदगी से जस्टिस वर्मा के कदाचार का पता चलता है, और यह इतना गंभीर है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए।
3 सदस्यीय समिति ने 10 दिन की जांच
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अगुवाई वाली 3 सदस्यीय समिति ने 10 दिनों तक मामले की पड़ताल की। इस दौरान उसने 55 गवाहों से पूछताछ भी की। साथ ही जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास पर 14 मार्च की रात करीब 11।35 बजे लगी आग के परिप्रेक्ष्य में घटनास्थल का दौरा भी किया। जस्टिस वर्मा तब दिल्ली हाईकोर्ट के मौजूदा जज थे और यह मामला सामने आने के दौरान उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया गया था।
जस्टिस वर्मा का इस्तीफा देने से इनकार
देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी। जस्टिस वर्मा ने मामले में खुद को निर्दोष बताया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने उन्हें दोषी ठहरा दिया। इस बीच विवाद के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए गए जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया।

By Aryavartkranti Bureau

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