नई दिल्ली। परमाणु संवर्धन के मुद्दे पर अमेरिका और इस्राइल से टकराव और फिर संघर्ष विराम के बाद भले ही मध्य एशिया में कुछ तनाव कम हुआ हो लेकिन ईरान साफ कर दिया है कि वह बिना किसी विश्वसनीय गारंटी के किसी से भी कोई वार्ता नही करेगा। ईरान ने कहा है कि अमेरिका के साथ कोई भी वार्ता प्रक्रिया तब तक बेकार है जब तक कि वाशिंगटन इस्राइल और अमेरिका द्वारा भविष्य में आक्रामक कृत्यों को रोकने के लिए गारंटी नहीं देता है।
भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने अमेरिका के साथ फिर से वार्ता शुरू करने के लिए तेहरान की शर्तों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जहां तक अमेरिका के साथ वार्ता का सवाल है, ईरान पर अवैध हमले करने में उनके कूटनीतिक विश्वासघात और जायोनी शासन के साथ मिलीभगत को देखते हुए किसी भी वार्ता का तब तक कोई अर्थ नहीं है, जब तक कि वे भविष्य के लिए अमेरिका और इस्राइल द्वारा इस तरह के आक्रामक कृत्यों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए विश्वसनीय गारंटी नहीं देते हैं।
इलाही ने कहा कि इस्राइल के पास परमाणु हथियार हैं और उसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, उसने ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के बहाने हमारे देश पर हमला किया। उन्होंने आगे अमेरिका पर भी हमला किया। भारत में ईरानी राजदूत ने कहा कि अमेरिकी हमलों का कोई कानूनी औचित्य नहीं था। उन्होंने इसे आक्रामकता का अपराध बताया। इसके अलावा, उन्होंने यह भी दावा किया कि ऑपरेशन में साइबर और आतंकवादी तत्व शामिल थे। इलाही ने कहा कि इस्राइली और अमेरिकी हमले संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 2, पैराग्राफ 4, परमाणु अप्रसार व्यवस्था, IAEA बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के प्रस्तावों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 का घोर उल्लंघन है।
राजदूत ने अमेरिका और इस्राइल पर कूटनीति को कमजोर करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका की मिलीभगत के बाद इस्राइल ने हमले ठीक तब किए जब ईरान-अमेरिका के बीच छठे दौर की वार्ता को सिर्फ दो दिन बचे थे। यह कूटनीति के साथ विश्वासघात था। साथ ही इन हमलों ने दिखा दिया कि वार्ता के लिए अमेरिका बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। इस दौरान इस्राइल के आरोपों को लेकर कि इस्राइल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, पर कहा कि यह दावा पूरी तरह से निराधार है। अंतरराष्ट्रीय कानून में इसका कोई आधार नहीं है। ईरान ने अपने इतिहास में कभी किसी देश पर हमला नहीं किया है। भले ही हम इस्राइल को मान्यता नहीं देते हैं और इसे एक कब्जा करने वाले शासन के रूप में देखते हैं।
परमाणु मुद्दे पर ईरानी राजदूत ने कहा कि ईरान का कार्यक्रम शांतिपूर्ण बना हुआ है। आईएईए की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की परमाणु गतिविधियां शस्त्रीकरण का उद्देश्य नहीं दिखाती हैं। ऐसे में शांतिपूर्ण सुविधाओं पर हमला करने के लिए इजरायल और अमेरिका द्वारा दिया गया औचित्य अवैध और अतार्किक दोनों है।
हाल ही में अमेरिका और इस्राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया था। इन हमलों का मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बड़ा झटका देना था। हालांकि, अमेरिकी रक्षा एजेंसियों की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान का मेटल कन्वर्जन प्लांट जरूर तबाह हुआ है, लेकिन बाकी ढांचे को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका।
ईरान में 935 लोग मारे गए
इस्राइल के साथ हाल में करीब दो हफ्तों तक चले संघर्ष में 900 से ज्यादा नागरिकों की मौत हो गई थी। इनमें सौ से ज्यादा महिलाएं भी शामिल थीं। सरकारी समाचार एजेंसी आईआरएनए ने बताया कि मारे गए 935 लोगों में से 38 बच्चे और 132 महिलाएं थीं।
‘विश्वसनीय गारंटी के बिना किसी वार्ता का कोई मतलब नहीं’; ईरान ने ट्रंप के साथ वार्ता के लिए रखी शर्त
