नई दिल्ली, एजेंसी। जब कोविड-19 महामारी फैली, तो सभी को पता था कि मौतों की संख्या सामान्य से ज्यादा होगी और जैसा कि उम्मीद थी वैसा ही हुआ। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि महामारी के चरम पर पहुंचने के बाद भी 2022 में जन्मों के मुकाबले मौतों का अनुपात बहुत ज्यादा रहा। मध्य प्रदेश और राजस्थान को छोड़कर लगभग हर राज्य में जन्मों के मुकाबले मौतों का अनुपात 2019 के स्तर तक नहीं आया है।
वास्तव में, ज्यादातर लोगों के लिए यह 2020 की तुलना में भी अधिक है, जो यह दर्शाता है कि यह केवल एक अस्थायी कोविड झटका नहीं था, बल्कि संभवतः एक दीर्घकालिक जनसांख्यिकीय बदलाव था। उदाहरण के लिए, गोवा को ही लें। 2022 में, मौतों की संख्या जन्मों का 87 प्रतिशत थी, जो 2019 में दर्ज 70 प्रतिशत के स्तर से कहीं अधिक थी और 2020 की तुलना में भी अधिक थी।
चौंका रहे इन राज्यों के आंकड़े
तमिलनाडु में भी इसी तरह का रुझान देखने को मिलता है, जहां 2022 में यह अनुपात 74 प्रतिशत था, जो 2020 के बराबर है, लेकिन कोविड से पहले के 67 प्रतिशत के आंकड़े से काफी ऊपर है। केरल का अनुपात भी 74 प्रतिशत पर बना हुआ है, जो 2019 के 56 प्रतिशत से काफी ऊपर है। सिक्किम, जिसकी प्रजनन दर सभी भारतीय राज्यों में सबसे कम है। यहां भी 2022 में 61 प्रतिशत का अनुपात देखा गया, जो कोविड से पहले के वर्ष 2019 और महामारी के वर्ष 2020 दोनों से अधिक है। यहां तक कि चंडीगढ़ और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे केंद्र शासित प्रदेश, जहां 2021 में तेज उछाल देखा गया था, वो भी पहले के स्तर पर वापस नहीं आ पाए हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने 2022 में 69 प्रतिशत मृत्यु-से-जन्म अनुपात की जानकारी दी, जबकि 2019 में यह 58 प्रतिशत था। इस बीच, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे युवा आबादी वाले राज्यों में मृत्यु-से-जन्म अनुपात बहुत कम है, जो 30 प्रतिशत से कम है (बिहार के मामले में, यह 15 प्रतिशत से भी कम है)। यूपी और झारखंड जैसे राज्यों में जनसंख्या वृद्धि के संकेत हैं, जिनमें से 2021 में उल्लेखनीय उछाल दिखाई देता है, लेकिन 2022 में थोड़ा कम हो गई।
कम हो रही जनसंख्या वृद्धि दर
अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या जन्म के मुकाबले मौत की दर के अनुपात का ये रुझान जारी रहेगा? तो अगले कुछ सालों के आंकड़े यह समझने के लिए महत्वपूर्ण होंगे कि क्या भारत वास्तव में नए जनसांख्यिकी चरण में प्रवेश कर चुका है या एक अस्थाई विकृति है। हालांकि, अब तक की स्थिति से साफ संकेत मिल रहे हैं कि जनसंख्या वृद्धि की दर धीमी हो रही है।
धीमी हो रही जनसंख्या वृद्धि दर, क्या कोरोना महामारी है इसके पीछे की वजह? चौंका रहे ये आंकड़े
