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13 Jul 2025, Sun

संविधान की प्रस्तावना माता-पिता की तरह, इसे कभी बदला नहीं जा सकता: उपराष्ट्रपति धनखड़

नई दिल्ली, एजेंसी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज सोमवार को कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना बच्चों के लिए माता-पिता की तरह है और इसे बदला नहीं जा सकता, चाहे कोई कितनी भी कोशिश कर ले। हाईकोर्ट के जज के घर से मिले कैश पर धनखड़ ने कहा कि अब मुद्दा यह है कि अगर कैश मिली है तो सिस्टम को तुरंत काम करना चाहिए था। मामले पर एफआईआर दर्ज किया जाना चाहिए और पैसे के स्रोत का पता लगाया जाना चाहिए।
संविधान का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, “संविधान की प्रस्तावना को लेकर कई मुद्दे रहे हैं। भारतीय संविधान की प्रस्तावना बच्चों के लिए माता-पिता की तरह है। आप चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, आप अपने माता-पिता की भूमिका को नहीं बदल सकते क्योंकि यह संभव नहीं है।”
कोच्चि स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज (NUALS) में छात्रों और शिक्षकों से बातचीत के दौरान उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि ऐतिहासिक रूप से किसी भी देश की प्रस्तावना में कभी बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन इस बात पर उन्होंने अफसोस भी जताया कि इमरजेंसी के दौर में भारतीय संविधान की प्रस्तावना में बदलाव किया गया था।
इमरजेंसी के दौर में संविधान में बदलाव की आलोचना करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा, “हमारे संविधान की प्रस्तावना में ऐसे समय में बदलाव किया गया जब सैकड़ों और हजारों की संख्या में लोग जेल में थे, हमारे लोकतंत्र का सबसे काला दौर था- इमरजेंसी का दौर।”
कानून के समक्ष सभी समान, हर अपराध की हो जांचः उपराष्ट्रपति
एक जस्टिस के घर पर कथित तौर पर भारी मात्रा में मिले जले नोट को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, “संवैधानिक प्रावधान के तहत जज से निपटने के संवैधानिक तंत्र के साथ आगे बढ़ना एक रास्ता है, लेकिन यह कोई समाधान नहीं है क्योंकि हम लोकतंत्र होने का दावा करते हैं जो हम हैं। दुनिया हमें एक परिपक्व लोकतंत्र के रूप में देखती है जहां कानून का शासन होना चाहिए, कानून के समक्ष सभी के लिए समानता होनी चाहिए जिसका अर्थ है कि हर अपराध की जांच हो।” उन्होंने कहा, “यदि पैसे की मात्रा इतनी बड़ी है, तो हमें पता लगाना होगा। क्या यह दागी पैसा है? इस पैसे का स्रोत क्या है? यह किसी जज के आधिकारिक आवास तक कैसे पहुंच गया? आखिर यह किसका था? इस प्रक्रिया में कई दंडात्मक प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है।”
उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाएगी। हमें मामले की जड़ तक जाना चाहिए क्योंकि लोकतंत्र के लिए यह अहम है कि हमारी न्यायपालिका जिस पर अटूट विश्वास है, उसकी नींव हिल गई है। इस घटना के कारण यह डगमगा रहा है।”
सिस्टम को तुरंत काम करना चाहिए थाः धनखड़
उन्होंने अब तक की कार्रवाई की बात करते हुए कहा, “आधिकारिक तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने यह बात रखी है कि हाईकोर्ट के एक जज के आधिकारिक घर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिली है। लेकिन अब मुद्दा यह है कि अगर वह नकदी मिली है तो सिस्टम को तुरंत काम करना चाहिए था और पहली प्रक्रिया यह होती कि इसे आपराधिक कृत्य के रूप में निपटाया जाता। फिर जो लोग मामले के दोषी हैं तो उन्हें तलाशा जाता। उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाता। लेकिन अभी तक कोई एफआईआर ही नहीं हुई है।” उपराष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार इसलिए कुछ नहीं कर सकती क्योंकि 90 के दशक की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक फैसले के मद्देनजर एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है।

By Aryavartkranti Bureau

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