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12 Jul 2025, Sat

ईरान की तरह हूती कमांडरों को क्यों नहीं मार पा रहा इजराइल?

यरुशलम, एजेंसी। ईरान में जहां इजराइल ने टॉप न्यूक्लियर वैज्ञानिकों और सैन्य अफसरों को बेहद सटीक तरीके से निशाना बनाया, वहीं यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ ऐसा कोई टारगेटेड ऑपरेशन अब तक सफल होता नहीं दिखा। सवाल उठता है कि एक ही इजराइल, जिसकी खुफिया एजेंसियों का लोहा दुनिया मानती है, हूती नेताओं को निशाना क्यों नहीं बना पा रहा? इसके पीछे कई दिलचस्प वजहें हैं।
जब अक्टूबर 2023 में हमास और इजराइल की जंग शुरू हुई, तो यमन के हूती विद्रोहियों ने भी मोर्चा खोल दिया था। रेड सी पर मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू हो गए, और कई अंतरराष्ट्रीय जहाज इनके निशाने पर आ गए। Suez Canal से गुजरने वाला व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ। अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर हूतियों पर एयरस्ट्राइक की, लेकिन कुछ समय बाद अमेरिका को खुद इनसे बातचीत करनी पड़ी। यानी अब हूती इजराइल के लिए सिर्फ विद्रोही संगठन नहीं रहे, बल्कि वे ईरान समर्थित ऐसे प्लेयर्स बन चुके हैं जो बड़े-बड़ों को झुका सकते हैं।
हूती नेताओं की पहचान है मुश्किल
हूती संगठन की संरचना काफी अलग है। जहां ईरान जैसे देशों में पदानुक्रम (हायरार्की) तय होती है, कौन प्रमुख वैज्ञानिक है, कौन जनरल है, वहीं हूती संगठन में ज्यादातर कमांडर ग्राउंड पर काम करते हैं लेकिन सार्वजनिक रूप से उनका नाम या चेहरा सामने नहीं आता। केवल संगठन का सर्वोच्च नेता अब्दुल मलिक अल-हूती ही एकमात्र ऐसा चेहरा है जिसे खुले तौर पर जाना जाता है। बाकी नेतृत्व पर एक तरह से पर्दा पड़ा होता है। इजराइल के पास टारगेट लिस्ट बनाने की भी गुंजाइश नहीं बनती।
टेक्नोलॉजी से दूरी, लोकेशन ट्रेस करना मुश्किल
आधुनिक युद्ध में डेटा, कॉल ट्रेसिंग, लोकेशन ट्रैकिंग सबसे अहम हथियार होते हैं। लेकिन हूती नेताओं ने टेक्नोलॉजी का जानबूझकर त्याग किया है। वे मोबाइल फोन, सैटेलाइट डिवाइस और ऑनलाइन कम्युनिकेशन से लगभग पूरी तरह कटे हुए हैं। जिससे उनकी गतिविधियों को ट्रैक करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
यमन में ‘प्री-प्लान्ड’ ऑपरेशन की कमी
ईरान में इजराइल का नेटवर्क पुराना और मजबूत है। वहां वर्षों से खुफिया प्लानिंग चल रही थी, जिससे वैज्ञानिकों की रूटीन, मूवमेंट और सुरक्षा ढांचे की पूरी जानकारी इजराइल के पास थी। लेकिन यमन के हूती इलाकों में ऐसा मजबूत खुफिया आधार नहीं बन पाया है। इसलिए सर्जिकल या टारगेटेड किलिंग ऑपरेशन मुश्किल हो जाते हैं।

By Aryavartkranti Bureau

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