पीछे कुछ समय से कोल्हापुरी चप्पल इंटरनेट में बहुत ट्रैंड मे है. क्योंकि हाल ही में इतालवी फैशन हाउस ‘प्राडा’ ने अपने एक फैशन शो में कोल्हापुरी चप्पल जैसी दिखने वाली चप्पलें अपने शो दिखाई। लेकिन कोल्हापुरी चप्प्लें भारत में काफी पुरानी है। यह महाराष्ट्र में ज्यादा प्रसिद्ध हैं। कोल्हापुरी चप्पल अपने डिजाइन, लंबे समय तक चलने और पारंपरिक कारीगरी के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
इन चप्पलों का इतिहास बहुत पुराना है। कोल्हापुरी चप्पलों को हाथ द्वारा की गई कारीगरी से बनाई जाती है। जिसमें सिलाई से लेकर चप्पल पर डिजाइन बनाना सभी चीजें शामिल है। साथ ही अच्छी क्वालिटी की लेदर का उपयोग किया जाता है। जिससे ये लंबे समय तर चले। लेकिन आजकल बाजार में आपको कोल्हापुरी चप्पल बहुत देखने को मिल जाएंगे, लेकिन हर कोई असली नहीं होती। यानी की उसे हाथ की जगह मशीन से बनाया जाता है और लेदर की क्वालिटी भी सही नहीं होती है। जिसके कारण ये जल्दी टूट या खराब हो सकती हैं। इसलिए अगर आप भी कोल्हापुरी चप्पल खरीदने जा रहे हैं, तो आप इस तरह से असली और नकली कोल्हापूरी चप्पलों की पहचान कर सकते हैं।
लेदर की क्वालिटी
असली और नकली कोल्हापुरी चप्पल की पहचान करने के लिए आपको उनकी लेदर की क्वालिटी पर ध्यान देना चाहिए। अच्छी क्वालिटी की लेदर से तैयार की गई चप्पल असली होती है और यह थोड़ी महंगी होती है। इसे अलावा नकली चप्पलों में अक्सर प्लास्टिक या फिर सिटेंथिक चीजों का उपयोग किया जाता है। अच्छी क्वालिटी का लेदर हल्का, लचीला और टिकाऊ होता है।
हाथ से बनाई जाने वाली
कोल्हापुरी चप्पलों को हाथ से बनाया जाता है, इसलिए इनकी सिलाई, कटाई और डिजाइन में एक खास कारीगरी दिखाई देती है। वहीं मशीन से बनी हुई चप्पल में हर जोड़ एकदम एक जैसे दिखाई देते हैं। इन दोनों की फिनिशिंग फर्क दिखाई दे जाएगा। असली चप्पल में कभी-कभी मोटे और छोटे असमान हिस्से हो सकते हैं।
डिजाइन
असली कोल्हापुरी चप्पल पारंपरिक डिजाइन जैसे कि टी-शेप स्ट्रैप, रंगीन धागे, मिरर वर्क और लेस के साथ आती है। वहीं जगह के मुताबिक इसमें डिजाइन शामिल किया जाता है। वहीं नकली चप्पलों में ये डिजाइन अलग या फिर अधूरे हो सकते हैं। यह फैक्ट्री स्टाइल में होते हैं, जिसमें हाथ से बनी हुई बारीकी नहीं दिखाई देती है।
वजन से जानें
असली कोल्हापुरी चप्पल हल्की और आरामदायक होती हैं। साथ ही नरम भी होती है। इसके अलावा नकलीचप्पलेंभारी और कठोर हो सकती हैं। जिसे पहने के बाद कंफर्टेबल महसूस हो सकता है। असली कोल्हापूरी चप्पलों को बनाने में समय और मेहनत ज्यादा लगती है इसलिए यह थोड़ी महंगी होती है। लेकिन नकली चप्पल मशीन में बनाई जाती है, तो इसलिए यह आपको बहुत सस्ती में मिल जाएंगी।