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12 Jul 2025, Sat

संविधान की हर पंक्ति में गीता की शिक्षा नजर आती है: आरिफ मोहम्मद खान

नई दिल्ली। बिहार में इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले टीवी9 भारतवर्ष ‘सत्ता सम्मेलन बिहार’ का आयोजन कर रहा है। इस खास कार्यक्रम के तीसरे सत्र ‘हम भारत के लोग’ में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शिरकत की। उन्होंने टीवी9 के मंच से भारत के संविधान पर बात की है और कहा कि संविधान की हर पंक्ति में गीता की शिक्षा नजर आती है।
हम भारत के लोग पर अपने विचार साझा करते हुए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने भगवत गीता का जिक्र किया। उनसे सवाल किया गया कि आप हम भारत के लोग को कैसे देखते हैं। इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हमारा संविधान कोई नया दस्तावेज नहीं है। भारत एक प्राचीन संस्कृति है। हमारे आदर्श हैं। हमारे मूल्य हैं और संविधान बनाने वाले लोग वो थे जिन्हें भरपूर ज्ञान अपने मूल्यों और आदर्शों का था।
‘भगवत गीता सारे शास्त्रों का सार’
आरिफ मोहम्मद खान ने आगे कहा कि हमारे यहां कहा गया है भगवत गीता सारे शास्त्रों का सार है। इसमें कहा गया है कि हम सब जो भी हैं इस दुनिया में वो सब क्रियाशील हैं। हम सबको जिंदा रहने के लिए काम करना पड़ता है। हम मानते हैं कि जिनको आत्मज्ञान नहीं है वो अपनी इच्छाओं के लिए जीवन में संघर्ष करता है, लेकिन जिसको आत्मज्ञान है वो अपने लिए जिंदा नहीं रहता है। उसका जीवन में लक्ष्या मानव कल्याण का होता है।
राज्यपाल ने कहा कि मुझे संविधान की हर पंक्ति में गीता की शिक्षा नजर आती है। समानता पहली चीज नहीं है। पहली चीज मानव प्रतिष्ठा है। बाकी चीजें इसी की कल्पना से निकलती है। ये कल्पना दुनिया में 1948 में स्वीकार की गई। UN में इसे माना गया और हर देश ने इसपर साइन किया। उन्होंने कहा कि हम भारत के लोग अगर आदर्श और मूल्यों को समझ गए होते तो शायद 1948 में UN चार्टर ऑफ ह्यूमन राइट्स की जरूरत ही नहीं पड़ती। भारत ने हजारों साल पहले दुनिया को मानव प्रतिष्ठा का ज्ञान दिया। आरिफ मोहम्मद ने कहा कि अगर हम इन चीजों को समझ गए होते तो दुनिया में हमारी किसी से कोई तुलना ही नहीं होती। स्वामी विवेकानंद बार-बार कहते थे कि भारत के पास दुनिया को देने के लिए संदेश है। और आज दुनिया ऐसे संदेश के लिए भूखी है।
मराठी विवाद पर क्या बोले राज्यपाल
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मराठी विवाद पर कहा है कि ये हमारी कमी है कि हम अपने लोगों को अपने आर्दशों और मूल्यों से परिचित नहीं करा पाए। अगर ज्ञान होता तो कोई ये नहीं कहता कि मेरी भाषा दूसरी भाषा से बेहतर है। हमारे यहां कहा गया है कि जितनी भाषा बोली जाती है वो सब मां सरस्वती से जुड़ी हैं। किसी की सभ्यता को समझने के लिए भाषा से बड़ी कोई चीज नहीं होती। राज्यपाल ने कहा कि कौन सी भाषा मेरी नहीं है। सारी भाषा मेरी है। जितनी भाषा को सीख सकते हो सीखो।

By Aryavartkranti Bureau

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