नई दिल्ली, एजेंसी। श्रावण पूर्णिमा और रक्षा बंधन के मौके पर मनाए जा रहे विश्व संस्कृत दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्कृत को ज्ञान और अभिव्यक्ति का ‘कालातीत स्रोत’ बताया। उन्होंने कहा कि इस भाषा का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में दिखता है और इसे लोकप्रिय बनाने के लिए देशभर में लगातार प्रयास हो रहे हैं।
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘आज श्रावण पूर्णिमा पर हम विश्व संस्कृत दिवस मना रहे हैं। संस्कृत ज्ञान और अभिव्यक्ति का एक कालातीत स्रोत है, जिसका असर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में देखा जा सकता है। यह दिन उन सभी लोगों के प्रयासों को सराहने का अवसर है जो दुनिया भर में संस्कृत सीख रहे हैं और इसे लोकप्रिय बना रहे हैं’
सरकार के प्रयास और पहल
पीएम मोदी ने बताया कि पिछले एक दशक में सरकार ने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना, संस्कृत लर्निंग सेंटर बनाना, संस्कृत विद्वानों को अनुदान देना और ज्ञान भारतम मिशन के तहत पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण शामिल है। इन पहलों से देशभर के छात्रों और शोधकर्ताओं को सीधा लाभ मिला है।
इतिहास और महत्व
संस्कृत दिवस हर साल श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है जो प्राचीन भारत में नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत का दिन माना जाता था। इसी दिन विद्यार्थी शास्त्रों का अध्ययन शुरू करते थे और वेदों का पाठ होता था। साल 1969 में भारत सरकार और संस्कृत संस्थानों के संयुक्त प्रयास से यह दिवस पहली बार मनाया गया, जिसका उद्देश्य संस्कृत की सांस्कृतिक और बौद्धिक महत्ता को बढ़ावा देना है।
संस्कृत सप्ताह और सांस्कृतिक धरोहर
इस साल संस्कृत सप्ताह 6 से 12 अगस्त तक मनाया जा रहा है। संस्कृत दिवस और संस्कृत सप्ताह भारतीय परंपरा, ऋषियों की ज्ञान-धारा और वैदिक विरासत का प्रतीक हैं। आज तकनीक और शिक्षा के जरिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर संस्कृत के प्रसार पर जोर दे रही हैं। एक प्रसिद्ध श्लोक में कहा गया है कि ‘अमृतं संस्कृतं मित्रं, सारसं सरलं वचः; एकता मूलकं राष्ट्रं, ज्ञान-विज्ञान- पोषकम्’ अर्थात संस्कृत अपनी सरलता और सौंदर्य के लिए जानी जाती है, जो ज्ञान, विज्ञान और राष्ट्रीय एकता को पोषित
करती है।
विश्व संस्कृत दिवस पर पीएम मोदी का संबोधन, संस्कृत है भारत की आत्मा और ज्ञान का अमूल्य खजाना
