नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कृषि क्षेत्र में 35,440 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली दो प्रमुख योजनाओं, प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित एक विशेष कृषि कार्यक्रम में इन योजनाओं का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री कार्यालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार, 24,000 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में वृद्धि, फसल विविधीकरण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना, पंचायत और ब्लॉक स्तर पर कटाई के बाद भंडारण क्षमता में वृद्धि, सिंचाई सुविधाओं में सुधार और चयनित 100 जिलों में दीर्घकालिक और अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता को सुगम बनाना है।
मोदी ने इस दौरान कहा कि आज 11 अक्टूबर का ये दिन बहुत ही ऐतिहासिक है। आज नया इतिहास रचने वाले मां भारती के दो महान रत्नों की जन्म-जयंती है। भारत रत्न श्री जयप्रकाश नारायण जी और भारत रत्न श्री नानाजी देशमुख… ये दोनों ही महान सपूत ग्रामीण भारत की आवाज थे। लोकतंत्र के क्रांति के अगुआ थे। किसानों और गरीबों के कल्याण के लिए समर्पित थे। उन्होंने कहा कि आज इस ऐतिहासिक दिन, देश की आत्मनिर्भरता के लिए, किसानों के कल्याण के लिए दो महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरुआत हो रही है।पहली, पीएम धन धान्य कृषि योजना और दूसरी, दलहन आत्मनिर्भरता मिशन।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये दोनों योजनाएं भारत के करोड़ों किसानों का भाग्य बदलने का काम करेगी। इन योजनाओं पर भारत सरकार करीब 35 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने वाली है।
उन्होंने कहा कि खेती और किसानी हमेशा से हमारी विकास यात्रा की हिस्सा रही है। बहुत जरूरी होता है कि बदलते समय के साथ खेती-किसानी को सरकार का सहयोग मिलता रहे। लेकिन दुर्भाग्य से पहले की सरकारों ने खेती-किसानी को अपने हाल पर छोड़ दिया था। इसलिए भारत की कृषि व्यवस्था लगातार कमजोर होती जा रही थी। 21वीं सदी के भारत को तेज विकास के लिए अपनी कृषि व्यवस्था में भी सुधार करना आवश्यक था और इसकी शुरुआत 2014 के बाद से हुई। प्रधानमंत्री ने शनिवार को कहा कि केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 2004 से 2014 तक सत्ता में रहने के दौरान कृषि क्षेत्र की अनदेखी की थी। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सत्ता में आने के बाद से, उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में किसानों को मजबूत बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि तीन पैरामीटरपर पीएम धन-धान्य कृषि योजना के लिए 100 जिलों का चयन किया है। पहला – खेत से कितनी पैदावार होती है। दूसरा – एक खेत में कितनी बार खेती होती है। तीसरा – किसानों को लोन या निवेश की कितनी सुविधा है। इस योजना में हम सरकार के 36 योजनाओं को एक साथ जोड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में 10,000 से ज़्यादा किसान उत्पादक संघ (FPO) बनाए गए हैं। मेरे आने में देरी हुई क्योंकि मैं कई किसानों से बातचीत कर रहा था। मैंने कई किसानों और मछुआरों से बात की। मुझे कृषि क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के अनुभव सुनने का अवसर मिला। पिछले 11 वर्षों में देश के किसानों ने अनेक उपलब्धियाँ हासिल की हैं। आज देश का मिजाज़ ऐसा हो गया है कि वह कुछ उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं होता। अगर हमें विकसित होना है, तो हमें हर क्षेत्र में निरंतर सुधार करना होगा। हमें सुधार करने होंगे। प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना इसी सोच का परिणाम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने देश के 100 से ज़्यादा ज़िलों को पिछड़ा घोषित करके उन्हें भुला दिया था। हमने इन ज़िलों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया और इन्हें आकांक्षी ज़िले घोषित किया। इन ज़िलों में बदलाव का हमारा मंत्र था, अभिसरण, सहयोग और प्रतिस्पर्धा। यानी, पहले हर सरकारी विभाग अलग-अलग परियोजनाएँ लागू करे, ज़िले के हर नागरिक को जोड़े, फिर साझा प्रयास की भावना से काम करे और फिर दूसरे ज़िलों के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करे। इस दृष्टिकोण के लाभ आज दिखाई दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन 100 से ज़्यादा पिछड़े ज़िलों—जिन्हें हम अब आकांक्षी ज़िले कहते हैं—की 20% बस्तियों में आज़ादी के बाद से सड़क नहीं थी। आज, आकांक्षी ज़िला योजना की बदौलत, इनमें से ज़्यादातर बस्तियाँ सड़कों से जुड़ गई हैं। उस समय, पिछड़े माने जाने वाले ज़िलों में, 17% बच्चे टीकाकरण के दायरे से बाहर थे। आज, आकांक्षी ज़िला योजना की बदौलत, इनमें से ज़्यादातर बच्चे टीकाकरण का लाभ उठा रहे हैं। इन पिछड़े ज़िलों में, 15% से ज़्यादा स्कूलों में बिजली नहीं थी। आज, आकांक्षी जिला योजना के तहत, ऐसे प्रत्येक स्कूल को बिजली कनेक्शन प्रदान किया जा चुका है।